एनडी हिन्दुस्तान
यमुनानगर। डीएवी गर्ल्स कॉलेज के वुमेन सेल की ओर से बाल विवाह के प्रति छात्राओं को जागरूक करने के लिए शपथ दिलवाई गई। कालेज प्रिंसिपल डॉ मीनू जैन ने कार्यक्रम क अध्यक्षता की। कार्यक्रम कनवीनर पूजा सिंदवानी की देखरेख में हुआ। गृह विज्ञान विभाग की अध्यक्ष पारूल सिंह मुख्य वक्ता रहीं।
पारूल सिंह ने कहा कि बाल विवाह एक सामाजिक बुराई है। इससे कानून का उल्लंघन भी होता है। बाल विवाह की वजह से बालिकाओं की शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य और विकास पर विपरित असर पडता है। उन्होंने बताया कि हर बिलास शारदा ने 1929 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बाल विवाह के रोकथाम हेतु बिल प्रस्तावित किया था। शारदा ने इस बिल का प्राथमिक उद्देश्य बाल-विधवा को रोकना बताया। चूँकि विधवा विवाह समाज में अनुमत नहीं था। आगे जाकर यह बिल बाल विवाह रोकथाम अधिनियम कहलाया। इस अधिनियम के तहत विवाह के लिए न्यूनतम आयु तय की गई। लड़की के न्यूनतम आयु 14 साल एवं लड़को के लिए 18 साल की थी। 1978 में, विवाह के लिए न्यूनतम आयु को बदला गया। जिसके बाद लड़के के विवाह के लिए 21 साल तथा लड़की के लिए 18 साल कर दी गयी। इस कानून के तहत दो साल की सजा व एक लाख रूपये के जुर्माने का प्रावधान है। उन्होंने छात्राओं से आह्वान किया कि वे अपने आसपास के क्षेत्र में लोगों को बाल विवाह के प्रति जागरूक करें।