अंतरराष्ट्रीय मंच पर 2024 में प्रतिष्ठित रोचडेल पायनियर्स अवॉर्ड ,सहकार भारती ने दिया फर्टिलाइजर मैन आफ इंडिया पुरस्कार
भारतीय किसान पहले परंपरागत और उसके बाद अगले चरण में अपनाएं प्राकृतिक खेती का फार्मूलाःडा.उदय शंकर अवस्थी
अमेरिका,ब्राजील औऱ आस्ट्रेलिया सहित 40 देशों ने स्वीकार की है भारत की नैनो फर्टिलाइजरःडा.अवस्थी
एनडी हिन्दुस्तान
अमृतसर। दुग्ध क्रांति के जनक डा.वर्गीज कुरियन के बाद भारत की एक और विभूति उनके समकक्ष खड़ी हुई है और इनका नाम डा.उदय शंकर अवस्थी। डा.अवस्थी इफको के प्रबंध निदेशक हैं और सहकारी क्षेत्र में विशेष योगदान और विश्व स्तर पर उर्वरक उद्योग में नवाचार के लिए उन्हें गुरु नगरी अमृतसर में फर्टिलाइजर मैन आफ इंडिया की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस दौरान उसने अमृतसर में विस्तार से बात भी हुई और उन्होंने फर्टिलाइजर के क्षेत्र में भारत की दिशा और दशा पर बेबाकी से प्रतिक्रिया भी दी।
डा.अवस्थी अपने कार्यक्षेत्र में विश्व स्तर पर ख्याति प्राप्त हैं और हाल में यानी 2024 में ही उन्हें प्रतिष्ठित रोचडेल पायनियर्स अवॉर्ड हाल ही मिला है।भारत जिसकी जनसंख्या करीब डेढ अरब है और जन संख्या के लिहाज से दुनिया से इस बड़े देश में डॉ. उदय शंकर अवस्थी दूसरे भारतीय हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय मंच यह प्रतिष्ठित अवार्ड हासिल हुआ । डॉ. वर्गीज कुरियन पहले भारतीय थे,जिन्हें दुग्ध क्रांति के लिए यह अवार्ड प्राप्त हुआ था। डा.अवस्थी के नेतृत्व में इफको ने भारत का सबसे बड़ा उर्वरक उत्पादक बनने के साथ-साथ नैनो फर्टिलाइज़र जैसी नई तकनीकों को विकसित करके अमेरिका,ब्राजील,आस्ट्रेलिया सहित दुनिया के 40 देशों में नैनो फर्टिलाइजर को स्वीकार किया है।
सहकार भारती के 8 वें तीन दिवसीय राष्ट्रीय अधिवेशन में जहां 28 राज्यों के 650 जिलों सहित नेपाल के प्रतिनिधि शामिल हुए थे,वहां फर्टिलाइजर मैन आफ इंडिया का सम्मान हासिल करने के बाद यहां उन्होंने बातचीत में बताया कि वह भी पूरी तरह से सहमत है कि भारत एक सक्षम देश है।मगर प्रश्न यह भी है कि क्या हम हर दिशा में सक्षम हैं भी या नहीं। उनका कहना था कि यह भी ध्यान रखना है,जब कोई देश या व्यक्ति बड़ा होता है तो उसके विरोधी भी बढ़ते हैं। हमारे देश के विरोधी भी बढ़ते है। डा.अवस्थी की इशारा उन परिस्थितियों की तरह था कि जब हम उस दिशा में देखते हैं तो यह देखना भी जरूरी है कि जिन क्षेत्रों में समक्ष हैं या सक्षम नहीं है, वहां और सक्षम कैसे बने।
उन्होंने कहा कि भारत एक कृषि प्रधान देश है। उत्पादन बढ़ाने के लिए किसान भरपूर खाद का इस्तेमाल कर रहा है,भारत ने कैमिकल मुक्त खाद यानी नैनो फर्टिलाइजर तैयार तो कर रही है,लेकिन इसे लिए जिन सामग्री की आवश्यकता होती है,उसमें से अधिकांश सामग्री का 100 से 80 प्रतिशत तक दूसरे देशों से खरीदना पड़ रहा है। अगर यह भरपाई हो जाए तो किसानों की जेब से निकलने वाले पैसे और सरकार जो सब्सीडी किसानों को दे रही है कि उसका पैसा किसानों व दूसरी आवश्यकताओं पर खर्च हो सकता है। यानी इस क्षेत्र में हमें पूरी तरह से आत्म निर्भर होने की आवश्यकता है।
डा.अवस्थी जिस क्षेत्र में आत्म निर्भर होने की बात कह रहे हैं, यूरिया के क्षेत्र में भारत दुनिया का सबसे बड़ा निर्माता है। उन्होंने कहा कि जहां अधिक खाद के इस्तेमाल से भूमि की शक्ति समाप्त हो रही है,उसके लिए सबसे पहले परंपरागत खेती को ही अपनाने की अवश्यकता है और इसके अगले चरण में प्राकृतिक खेती की कदम बढ़ाने के लिए सोचना होगा। इसमें थोड़ा समय लग सकता है और शुरुआती वर्षों में उत्पादन कम भी हो सकता है,लेकिन भविष्य में इसके शानदार परिणाम सामने आ सकते है। चिंताजनक स्थिति राजस्थान के श्रीगंगानगर जैसे क्षेत्रों की जहां अत्याधिक कैमिकल युक्त खाद के इस्तेमाल से कैंसर के रोगियों की संख्या इतनी बढ़ गई है कि कैंसर स्पेशल ट्रेन चलाने की नौबत आ गई। इधर पंजाब के खेतों की मिट्टी में जिंक की बहुत कमी आई है,इसका सीधा असर इम्यूनिटी पर पड़ रहा है। पंजाब प्रांत में इसके गंभीर परिणाम सामने ना हो,इसके लिए समय से संभलने की आवश्यकता है।