हस्त शिल्पकला और लोक कलाकारों की लोक कला ने अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में बनाई अपनी अलग पहचान
महोत्सव के रंग में रंगे दिखाई दिए पर्यटक
लोक कला की गूंज विदेशों तक दी सुनाई
एनडी हिन्दुस्तान
कुरुक्षेत्र । ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर 28 नवंबर से 15 दिसंबर 2024 तक चलने वाले इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में जहां शिल्पकार अपनी अदभुत और अनोखी कला से लोगों को आकर्षित करने का काम कर रहे है। वहीं इन शीत लहरों के बीच सूरज की किरणें भी सरोवर पर अपनी सौन्दर्यता का रंग बिखेर रही है। जिन्हें देखकर महोत्सव में आने वाले सभी पर्यटक सरोवर के तटों पर अपने-अपने कैमरों में इस अनोखी फिजा को कैद करते नजर आ रहे है। इन लोक कलाकारों की लोक कला की गूंज प्रदेश ही नहीं विदेशों तक सुनाई दे रही है। ऑनलाइन प्रणाली के माध्यम से विदेशी भी इस अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के पल-पल का आनंद ले रहे है।
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव के 17वें दिन शनिवार को ब्रह्मसरोवर के पावन तट पर हजारों की संख्या में पहुंचे पर्यटकों द्वारा हस्त शिल्पकार की शिल्प कला को देखकर हैरान है वहीं पर्यटक इन हस्तशिल्प कला से बनी अदभुत वस्तुओं की जमकर खरीददारी कर रहे है। अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हस्त शिल्पकला और लोक कलाकारों की लोक कला ने अपनी एक अलग पहचान बनाई है। इन शिल्पकारों ने महोत्सव में एक अलग ही रंग भरने का काम किया है यही नहीं महोत्सव में आया हुआ प्रत्येक पर्यटक इस हस्त शिल्पकला के आगे नतमस्तक हो रहा है।
अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव-2024 के शिल्प और सरस मेले का 17वां दिन है और रोजाना पर्यटकों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। ब्रह्मसरोवर के घाटों पर उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक कला केन्द्र की तरफ से बेहतरीन कलाकारों द्वारा प्रस्तुतियां दी जा रही है। इन प्रस्तुतियों में किसी घाट पर पंजाबी संस्कृति, कहीं पर हरियाणवी और कहीं पर हिमाचल तो कहीं पर राजस्थान की लोक संस्कृति को देखने का अवसर मिल रहा है। इस लोक संस्कृति का आनंद लेने के साथ-साथ लोग ब्रह्मसरोवर के चारों तरफ एनजेडसीसी और डीआरडीए की तरफ से लगे सरस और शिल्प मेले में अनोखी शिल्पकला को भी खूब निहार रहे है।