एनडी हिन्दुस्तान
कुरुक्षेत्र। मातृत्व के प्रति समर्पण और सम्मान को अभिव्यक्त करने के उद्देश्य से एक भव्य और विशिष्ट संरचना माँ भद्रकाली शक्तिपीठ में बनने जा रही है । पीठाध्यक्ष प० सतपाल शर्मा ने बताया कि 51 फुट विराट इस “माँ” संरचना को सभी माताओं “माँ” को समर्पित किया गया है और यह माताओं के अद्वितीय प्रेम, त्याग और ममता का समागम होगी । उन्होंने बताया कि यह परियोजना न केवल धार्मिक, सांस्कृतिक और सामाजिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बनेगी और महिलाओं के लिए भी गर्व का स्थान होगी, इसलिए इसे महागौरव स्थल का नाम दिया गया है । सम्पूर्ण प्रोजेक्ट महागौरव स्थल को डिजाइन करनाल के आर्किटेक्ट आयुष गोयल ने किया है । इस प्रोजेक्ट में भव्य “माँ” संरचना को डिजाइन गुरु जी के सुपुत्र स्नेहिल शर्मा ने किया है, इस संरचना में सबसे ऊपर पूर्ण चन्द्र बिंदु को इस तरीके से बनाया गया है कि वो देखने में एक प्रज्ज्वलित दीये के समान लगता है । चाँद की बिंदु को इस तरीके से डिजाइन किया गया है कि वो तिलक की तरह भी लगता है और साथ ही माँ की तीसरी आँख को भी दर्शाता है । चाँद बिंदु में जो तल होता है, वो माता की दो आँखों को दर्शाता हुआ भी दिखाई पड़ता है । इस अक्षर के ऊपर की लाइन को शक्ति के प्रतीक त्रिशूल के रूप में दिखाया गया है । संरचना में त्रिशूल का उद्देश्य माताओं को सदृढ़, मजबूत दिखाने से, अपने बच्चों के लिए नैसर्गिक रक्षा भाव रखने से है । उसके बाद नीचे “माँ” अक्षर की बनावट है । गौरतलब है कि मंदिर में विशेष तिलक भी इसी डिजाइन का लगाया जाता है । इस भव्य संरचना के तल में एक विशेष “स्नेहासन” बनाया जाएगा, जिस पर प्यार व माँ बच्चे को दर्शाते चिन्ह उभार लेंगे । स्नेहासन एक ऐसा ममतामयी आसन होगा, जहां कोई भी सुपुत्र अपनी माँ को आदरपूर्वक बिठाकर उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व प्रेम व्यक्त कर सकेगा । इसके ठीक नीचे हाथों की शेप में गोद की मुद्रा से “अंकासन” बनाया जाएगा, इसमें पुत्र और पुत्री अपनी स्नेहासन पर बैठी माताओं के चरणों में बैठकर उनके वात्सल्य का अनुभव कर सकेंगे और चित्र इत्यादि ले सकेंगे । इस विराट संरचना को धारण करने वाला तल शिवलिंग के निचले भाग जिसे माँ सती का प्रतिक माना गया है, जैसा होगा । यह संरचना माता और संतान के अद्वितीय रिश्ते का प्रतीक बनेगी । संरचना मंदिर परिसर में मौजूद द्वैपायन चक्रताल के मध्य में निर्मित की जाएगी । इस सरोवर के किनारों पर भारत की प्रसिद्ध ऐतिहासिक और पौराणिक माताओं की मूर्तियां स्थापित की जाएगी, जैसे मातृभूमि के प्रति प्रेम और त्याग की प्रतीक भारत माता, भगवान श्रीकृष्ण की पालनहार यशोदा मैया, वीर शिवाजी महाराज की माँ जीजाबाई इत्यादि । ईन माताओं के नामों के साथ-साथ शास्त्रों और ग्रंथों में उल्लेखित उनकी महिमा का बखान करते हुए मंत्र और वचनों को भी अंकित किया जाएगा । पीठाध्यक्ष ने आगे बताया कि यह “माँ” तीर्थ भारत की सांस्कृतिक विरासत और मातृत्व के गौरव को जीवंत करेगा । द्वैपायन चक्रताल के मध्य में शक्तिपीठ की देवी माँ सावित्री की प्रतिमा भी लगाई जाएगी । तालाब के गेट को भी इसी तर्ज पर तैयार किया जाएगा व “सर्वधर्म सर्वोपरि स्तम्भ” भी स्थापित किया जाएगा । यह प्रतिमा मातृत्व और नारी सम्मान के प्रति समाज को जागरूक करने का कार्य करेगी । यह परियोजना केवल एक संरचना नहीं है, बल्कि मातृत्व के प्रति आदर, श्रद्धा और सम्मान को समर्पित एक आंदोलन है। पीठाध्यक्ष ने आगे बताया कि इस स्थान पर लोग अपनी माताओं को लेकर आएंगे, उनके साथ समय बिताएंगे, और उनकी ममता व त्याग को नमन करेंगे । मातृ दिवस व महिला दिवस पर इस स्थान पर विशेष कार्यक्रम हुआ करेंगे । उन्होंने आगे बताया कि इस महागौरवशाली स्थल की नींव रखने हरियाणा के माननीय मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी जी प्रातः 9:30 बजे 4 जनवरी को शक्तिपीठ में पहुंचेंगे , जिसके लिए समस्त तैयारीयां कर ली गयी है । माननीय मुख्यमंत्री जी 1 घण्टे तक इस महान कार्य की पूजा में भाग लेंगे । जिसमें नववर्ष पर सेवा संकल्प दिवस के रूप में मनोकामना पूर्ण हवन यज्ञ भी होगा और सभी भक्त आहुतियां डाल सकेंगे । उन्होंने यह भी बताया कि उनके सुपुत्र स्नेहिल शर्मा ने संकल्प शुद्वि व्रत धारण किया हुआ है और 10 दिन बाद भूमि पूजन के साथ यह व्रत सम्पूर्ण होगा । यह परियोजना मातृत्व को मानवता की नींव मानते हुए, उसे समाज के केंद्र में स्थापित करने का प्रयास है। “माँ” संरचना अपने अनोखे स्वरूप और उद्देश्य के कारण न केवल एक स्मारक होगी, बल्कि यह भावनाओं और मूल्यों का जीवंत उदाहरण भी बनेगी । उन्होंने सभी से निवेदन किया कि अपनी माताओं के साथ इस महागौरवशाली स्थल की शिलान्यास कार्यक्रम में जरूर सम्मिलित होकर पुण्य के भागी बनें ।