एनडी हिन्दुस्तान
रोहतक। पौराणिक कथा के अनुसार खाटू श्याम की अपारशक्ति और क्षमता से प्रभावित होकर भगवान श्री कृष्ण ने इन्हें कलयुग में अपने नाम से पूजे जाने का वरदान दिया था। यह विचार मदन लाल ढींगरा कम्युनिटी सेंटर में आज से शुरू हुई तीन दिवसीय श्री श्याम कथा के पहले दिन कथा व्यास श्याम रतन श्री पप्पू शर्मा खाटू वाले ने व्यक्त किए । उन्होंने कहा कि खाटू श्याम जी को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। कथा व्यास ने कहा कि बाबा खाटू श्याम का संबंध महाभारत काल से माना जाता है जो पांडु पुत्र भीम के पौत्र थे। कथा व्यास ने बताया कि वनवास के दौरान जब पांडव अपनी जान बचाते हुए भटक रहे थे तब भीम का सामना हिडिंबा से हुआ । हिडिंबा ने भीम से एक पुत्र को जन्म दिया जिसका नाम घटोत्कच पड़ा। घटोत्कच से बबरीक पुत्र हुआ । कथा व्यास पप्पू शर्मा ने कथा सुनाते हुए कहा कि इन दोनों को अपनी वीरता और शक्तियों के लिए जाना जाता था। उन्होंने कहा कि जब कौरव और पांडवों के बीच युद्ध होना था तब बबरीक ने युद्ध देखने का निर्णय लिया। भगवान श्री कृष्ण ने जब पूछा युद्ध में किसकी तरफ है तो उन्होंने कहा था कि जो पक्ष हारेगा वह उसकी ओर से लड़ेंगे । भगवान श्री कृष्ण युद्ध का परिणाम जानते थे और उन्हें डर था कहीं पांडवों के लिए उल्टा ना पड़ जाए ऐसे में भगवान श्री कृष्ण ने बबरीक को रोकने के लिए दान की मांग की । दान में उन्होंने उनसे शीश मांग लिया और बब रीक ने उन्हें अपना शीश दे दिया लेकिन आखिर तक उन्होंने युद्ध देखने की भगवान से इच्छा जाहिर की। श्री कृष्ण ने इच्छा स्वीकार करते हुए उनका सर युद्ध वाली जगह पर एक पहाड़ी पर रख दिया। युद्ध के बाद पांडव लड़ने वालों की युद्ध की जीत का श्रेय किसे जाता है तब बर्बरीक ने कहा कि उन्हें जीत भगवान श्री कृष्ण की वजह से मिली है। इस बलिदान से प्रसन्न होकर भगवान श्री कृष्ण ने कलयुग में शाम के नाम से पूजे जाने का बबरीक को वरदान दिया जो आज राजस्थान के सीकर जिले में खाटू श्याम के भव्य मंदिर में विराजमान है और उन्हें कलयुग में हारे का सहारा भी कहा जाता है। आज पहले दिन कथा में दानी के शीश का कथा आयोजक श्री श्याम परिवार रोहतक की ओर से भव्य श्रृंगार किया गया। श्री श्याम परिवार रोहतक के संस्थापक शिव एरन ने बताया कि बाबा की कृपा से रोहतक में पहली बार इस कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसमें रोजाना शाम प्रेमियों के लिए बाबा के आशीर्वाद से रसोई से लजीज व्यंजन प्रसाद के रूप में वितरित किए जाएंगे और साथ ही बाबा को 56 भोग समर्पित किया जाएगा। आज पहले दिन कथा के समापन पर भव्य आरती का आयोजन किया गया। कथा से पूर्व श्याम परिवार की ओर से हनुमान चालीसा का पाठ भी किया गया।