न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 16 जनवरी। गीता उत्थान की प्रेरणा देती है और पतन की ओर न जाने की चेतावनी देती है। यह उद्गार गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद ने गीता ज्ञान संस्थानम में आयोजित दिव्य गीता सत्संग को व्यास पीठ से संबोधित करते हुए व्यक्त की। नगर के प्रसिद्ध सर्जन डा. सुरेंद्र मैहता, संस्कार भारती के नरेंद्र शर्मा, श्री ब्राह़्मण एवं तीर्थोद्धार सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा, जजपा सेवादल के प्रदेश संयोजक मायाराज चंद्रभानपुरा और प्रसिद्ध समाजसेवी एवं गौभक्त आरडी गोयल ने दीप प्रज्जवलित व गीता पूजन करके दिव्य गीता सत्संग का शुभारंभ किया। गीता मनीषी ने कहा कि गीता क्या है और गीता में क्या है। इसको बताने के लिए जीओ गीता प्रयास कर रही है। गीता एकमात्र ऐसा ग्रंथ है जोकि पूर्ण रूप से वैज्ञानिक व वैचारिक है।
उन्होने कहा कि गीता में उत्थान का कर्म और पतन को रोकने का कर्म पूरी तरह से वैज्ञानिक और वैचारिक है। जीओ गीता का प्रयास है कि गीता को पूरे विश्व के लोग पहचानें ओर उसका लाभ उठाएं। गीता का हर विचार बिना किसी भेदभाव व बिना किसी जाति संप्रदाय के प्रत्येक व्यक्ति के लिए है। गीता में ऊंच-नीच का कोई स्थान नही है। जब बच्चा प्रेरणा न समझे तो उसे चेतावनी दी जाती है इसी प्रकार गीता में जहां उत्थान की प्रेरणा दी जाती है वहीं जब कोई न समझे तो उसके लिए चेतावनी का कर्म भी है।
स्वामी ज्ञानानंद ने कहा कि गीता अशक्ति को दूर करती है क्योंकि अशक्ति से कामना पैदा होती है और कामना से क्रोध उत्पन्न होता है। उन्होने कहा कि जीओ गीता का उद्देश्य है कि प्रत्येक मानव गीता के संग जीए। गीता केवल धार्मिक ग्रंथ नही बल्कि संपूर्ण जीवन शास्त्र है। मानव को अनुकूल व प्रतिकूल दोनों परिस्थितियों को भगवान की इच्छा मानकर जीवन जीना चाहिए।