रंगमंच समूह में काम करने की आदत डालता है-अपराजिता
बचपन में जिज्ञासा होती है नयी चीजों को सीखने के लिए-अपराजिता
27 से 29 तक तीन दिवसीय राष्ट्ीय चित्रकला कार्यशाला होगी आयोजित-अपराजिता
रंगअभ्यास के समय अपराजिता मीडिया से हुई रूबरू
नेशनल स्कूल ऑफ ड्ामा के राजीव गौण के निर्देशन में वृहस्पतिवार से चलेगी कार्यशाला
नगर निगम द्वारा प्रायोजित 25 दिवसीय कार्यशाला संचालित
एनडी हिन्दुस्तान
पंचकूला । नगर निगम द्वारा प्रायोजित एवं एच एस वी पी, हरियाणा पुलिस और शिक्षा विभाग के सानिध्य में इन्द्रधनुष आडिटोरियम परिसर में आयोजित कार्यशाला में निगम आयुक्त सुश्री अपराजिता आयोजित कार्यशाला में मीडिया से रूबरू हुई।
मीडिया से बातचीत के दौरान सुश्री अपराजिता ने बताया कि स्वच्छ पंचकूला-सुन्दर पंचकूला, प्रकृति आच्छादित पंचकूला और सुरक्षित पंचकूला की परिकल्पना को आकार देने के लिए रंगमंच का सहारा लिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इससे विद्यार्थियों में समूह में जहां काम करने की आदत विकसित होगी वहीं नाट्य अभ्यास के कारण विद्यार्थी स्वयं अपने शहर को सुन्दर करने के लिए प्रतिबद्ध होंगे। उन्होंने बताया कि 27 से 29 जनवरी को राष्ट्ीय चित्रकला कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें हरियाणा के अतिरिक्त दूसरे शहरों से प्रख्यात चित्रकार आमंत्रित किये जा रहें हैं।
सुश्री अपराजिता ने बताया कि चित्रकला कार्यशाला के दौरान ही पंचकूला के सभी शिक्षण संस्थाओं से 5-5 विद्यार्थी भी आमंत्रित किये जायेंगे ताकि वे कार्यशाला में भागीदारी कर चित्रकला विशेषज्ञों से चित्रकला की बारीकियों को सीख सके। बचपन में ही रंगमंच क्यों ? का उत्तर देते हुए सुश्री अपराजिता ने बताया कि बचपन नयी चीजे सीखने के लिए जिज्ञासु होता है। यदि बचपन में ही बच्चों को ऐसे संस्कार दिये जाये तो अवश्य ही वो एक बेहतर नागरिक बनेंगे।
इस अवसर पर नेशनल स्कूल ऑफ डा्मा से आये कार्यशाला के निर्देशक श्री राजीव गौड़ ने कहा कि रंगमंचीय प्रस्तुति द्वारा बच्चों में रचनात्मक गुण का विकास करना कार्यशाला का उद्देश्य है। नाट्य अनुशासन बेहतर मनुष्य का सृजन पक्ष है। उन्होंने रंगकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि नाटक में रीटेक नहीं होता। नाटक में सबकुछ लाइव होता है इसलिए नाटक में गलती की कोई गुंजाइश नहीं।
दौरान ही पंचकूला के सभी शिक्षण संस्थाओं से 5-5 विद्यार्थी भी आमंत्रित किये जायेंगे ताकि वे कार्यशाला में भागीदारी कर चित्रकला विशेषज्ञों से चित्रकला की बारीकियों को सीख सके। बचपन में ही रंगमंच क्यों ? का उत्तर देते हुए सुश्री अपराजिता ने बताया कि बचपन नयी चीजे सीखने के लिए जिज्ञासु होता है। यदि बचपन में ही बच्चों को ऐसे संस्कार दिये जाये तो अवश्य ही वो एक बेहतर नागरिक बनेंगे।
इस अवसर पर नेशनल स्कूल ऑफ डा्मा से आये कार्यशाला के निर्देशक श्री राजीव गौड़ ने कहा कि रंगमंचीय प्रस्तुति द्वारा बच्चों में रचनात्मक गुण का विकास करना कार्यशाला का उद्देश्य है। नाट्य अनुशासन बेहतर मनुष्य का सृजन पक्ष है। उन्होंने रंगकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि नाटक में रीटेक नहीं होता। नाटक में सबकुछ लाइव होता है इसलिए नाटक में गलती की कोई गुंजाइश नहीं।
इस अवसर पर कार्यशाला की कैम्प डाइरेक्टर रीता राय ने नगर निगम का धन्यवाद देते हुए कहा कि विद्यार्थियों के लिए इस तरह की कार्यशाला के आयोजन को प्राथमिकता देना सचमुच ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि कार्यशाला के संयोजन में श्री घनश्याम, संगीत विशेषज्ञ एवं अमित कुमार, कला शिक्षक का महत्वपूर्ण योगदान रहा।