अखिल भारतीय विद्युत अभियंता महासंघ ने की घोषणा
एनडी हिन्दुस्तान
कुरुक्षेत्र । राष्ट्रीय विद्युत समन्वय समिति (एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई.) ने उत्तर प्रदेश और चंडीगढ़ में बिजली के निजीकरण के खिलाफ सभी राज्यों की राजधानियों और बिजली उपयोगिता मुख्यालयों पर राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन और विरोध सभाएं आयोजित करने का निर्णय लिया है। ए.आई.पी.ई.एफ. के प्रवक्ता विनोद गुप्ता ने बताया कि शैलेंद्र दुबे अध्यक्ष अखिल भारतीय विद्युत अभियंता महासंघ (ए.आई.पी.ई.एफ.) ने प्रेस बयान में कहा है कि एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई. के निर्णय के अनुसार विद्युत कर्मचारी और अभियंता उत्तर प्रदेश में निजीकरण के लिए प्री-बिडिंग कॉन्फ्रेंस के खिलाफ 23 जनवरी को देश के सभी प्रांतों की राजधानियों में विरोध प्रदर्शन करेंगे और निजीकरण प्रक्रिया को रद्द करने की मांग करते हुए एक मीटिंग करेंगे। इसी तरह 31 जनवरी को देश के सभी प्रांतों में जिला और परियोजना मुख्यालयों पर 1 फरवरी को चंडीगढ़ की बिजली व्यवस्था को एक निजी कंपनी द्वारा अपने अधीन करने की योजना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। गुप्ता ने बताया कि एन.सी.सी.ओ.ई.ई.ई. की बैठक नई दिल्ली में हुई और इसकी अध्यक्षता अखिल भारतीय विद्युत कर्मचारी महासंघ के महासचिव मोहन शर्मा ने की। बैठक में शैलेंद्र दुबे अध्यक्ष ए.आई.पी.ई.एफ., प्रशांत चौधरी महासचिव ई.ई.एफ.आई. सुभाष लांबा उपाध्यक्ष ई.ई.एफ.आई., ए.के. जैन, सत्य पाल और यशपाल शर्मा ए.आई.पी.ई.एफ., सुदीप दत्ता ई.ई.एफ.आई. और अन्य नेता मौजूद रहे थे।
ए.आई.पी.ई.एफ. के मुख्य संरक्षक पदमजीत सिंह ने कहा कि चंडीगढ़ बिजली विभाग पिछले कई वर्षों से लगातार वार्षिक लाभ कमा रहा है और कुल तकनीकी और वाणिज्यिक (ए.टी.एंड सी.) घाटे को 10 प्रतिशत से नीचे बनाए रखा है। चंडीगढ़ बिजली का टैरिफ लगभग 4.50 रुपए प्रति यूनिट है जो देश में सबसे कम है। ऐसे में चंडीगढ़ बिजली विभाग का निजीकरण करने का कोई मामला नहीं है। 31 जनवरी को पूरे देश में यू.टी. बिजली कर्मचारियों के समर्थन में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
संघर्ष समिति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के लिए ट्रांजेक्शन कंसल्टेंट नियुक्त करने के लिए प्री-बिडिंग कॉन्फ्रेंस को तत्काल रद्द किया जाए, अन्यथा बिजली कर्मचारियों में भारी रोष है। बिजली कर्मचारी पूरे प्रदेश में प्री-बिडिंग कॉन्फ्रेंस का पुरजोर विरोध करेंगे।