Thursday, January 30, 2025
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‘जीवनरक्षक नमस्ते’: फोर्टिस मोहाली ने स्ट्रोक पहचानने की अनूठी तकनीक पेश की

by Newz Dex
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एनडी हिन्दुस्तान

मोहाली ।  क्या एक साधारण ‘नमस्ते’ स्ट्रोक की स्थिति में जीवन बचा सकता है? एक नई तकनीक निश्चित रूप से ऐसा कर सकती है। फोर्टिस अस्पताल, मोहाली ने इस पारंपरिक अभिवादन का उपयोग करके प्रारंभिक स्ट्रोक पहचान के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए एक क्रांतिकारी पहल शुरू की है।

इस तकनीक को समझाते हुए प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. श्रीराम वर्धाराजन  ने कहा कि एक साधारण नमस्ते तीव्र स्ट्रोक के दौरान जीवन बचा सकता है। नमस्ते करते समय व्यक्ति स्ट्रोक के मुख्य लक्षणों की तुरंत पहचान कर सकता है। दोनों हाथ जोड़ने से बांह की कमजोरी या झुकाव का पता चल सकता है, सीधे खड़े होकर मुस्कुराने से चेहरे के असंतुलन या गिरावट की पहचान हो सकती है, और ‘नमस्ते’ बोलने से अस्पष्ट या तुतलाती हुई वाणी का पता चल सकता है। इसके अतिरिक्त, आंखें बंद करने से संतुलन या संवेदनशीलता की समस्या का परीक्षण किया जा सकता है।

डॉ. वर्धाराजन ने बताया कि मौजूदा प्री-हॉस्पिटल स्ट्रोक असेसमेंट स्केल  मुख्य रूप से चेहरे की गिरावट, बांह की कमजोरी, पकड़ की शक्ति और बोलने की कठिनाई पर केंद्रित होते हैं – जिनकी जांच पारंपरिक नमस्ते के माध्यम से एक साथ की जा सकती है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यदि कोई व्यक्ति अकेला हो, तो वह आईने के सामने स्वयं इस तकनीक से अपनी जांच कर सकता है। नमस्ते करते समय आंखें बंद करने से संतुलन या संवेदनशीलता की गड़बड़ी का भी पता लगाया जा सकता है, जो पीछे के मस्तिष्क (पॉस्टीरियर सर्कुलेशन) में स्ट्रोक का संकेत हो सकता है।

तकनीक को विस्तार से समझाते हुए उन्होंने कहा कि नमस्ते की मुद्रा में कंधों की हल्की झुकाव के साथ उठान, कोहनियों का मोड़, और हाथों को जोड़ना शामिल है। यह स्थिति बांह की कमजोरी और पकड़ की शक्ति में कमी को उजागर कर सकती है। मुस्कुराना और ‘नमस्ते’ ज़ोर से बोलना चेहरे की विषमता और अस्पष्ट वाणी की पहचान करने में मदद करता है।” इस सरल तकनीक को आसानी से अपनाया जा सकता है, और तमिल में वडकम्म जैसे क्षेत्रीय अभिवादन भी इसके प्रभावी विकल्प हो सकते है।

फोर्टिस अस्पताल, मोहाली ने इस तकनीक को प्रारंभिक स्ट्रोक पहचान के लिए एक सरल और सुलभ प्री-हॉस्पिटल स्क्रीनिंग विधि के रूप में विकसित करने का लक्ष्य रखा है। डॉ. वर्धाराजन ने ज़ोर देकर कहा कि स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए सार्वजनिक अभियान चलाना महत्वपूर्ण है, क्योंकि समय पर पहचान और त्वरित उपचार से जीवन बचाया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि स्ट्रोक एक तेजी से बढ़ती राष्ट्रीय समस्या है। इससे निपटने का पहला कदम जागरूकता बढ़ाना और लोगों को ऐसे सरल तरीकों से सशक्त बनाना है, जिससे वे तुरंत सतर्क हो सकें, और समय पर अपनी जांच करवा सकें।

फोर्टिस अस्पताल, मोहाली की यह अभिनव पहल दिखाती है कि कैसे परंपरा और चिकित्सा विज्ञान के संयोजन से बड़े पैमाने पर स्वास्थ्य परिणामों में सुधार किया जा सकता है।

इस अवसर पर फोर्टिस हेल्थकेयर के एग्जीक्यूटिव वाईस प्रेसिडेंट आशीष भाटिया; हेड-एसबीयू, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली अभिजीत सिंह; फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के इंटरवेंशनल न्यूरोराडियोलॉजी के एडिशनल डायरेक्टर डॉ. विवेक गुप्ता; फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. एच.एस. मान; न्यूरोलॉजी विभाग के डायरेक्टर डॉ. सुदेश प्रभाकर, सीनियर कंसल्टेंट (न्यूरोलॉजी) डॉ. निशित सावाल सहित न्यूरोलॉजी और न्यूरोसाइंसेज टीम के अन्य सदस्य उपस्थित थे।

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