Sunday, February 23, 2025
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अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला में ओडिशा थीम स्टेट कर रहा है पर्यटकों को आकर्षित

by Newz Dex
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*कलात्मक परंपराओं की जीवंत अभिव्यक्ति है ओडिशा की पाल संकीर्तन कला*

*हिंदू महाकाव्यों और पुराणों के प्रसंगों में देखने को मिल रही पाल संकीर्तन कला की झलक*

*बड़ी चौपाल पर आयोजित कार्यक्रमों में ओडिशा के कलाकार बांध रहे हैं समां*

एनडी हिन्दुस्तान

चण्डीगढ़ । सूरजकुंड अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेला में देश व विदेशी कलाकारों द्वारा अपनी कला और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिनसे यहां आने वाले आगंतुकों को विभिन्न प्रदेशों की कलाओं से रूबरू होने का अवसर मिल रहा है। मेला में इस बार ओडिशा और मध्य प्रदेश थीम स्टेट है, जहां दोनों प्रदेशों के अलावा अन्य राज्यों के कलाकार भी अपनी सांस्कृतिक छंटा बिखेर रहे हैं। मेला में थीम स्टेट ओडिशा पर्यटकों को आकर्षित कर रहा है। आपको बता दें कि ओडिशा राज्य की पाल संकीर्तन कला प्रमुख है, इस अनूठी परंपरा की झलक मेले में पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित कर रही है। ओडिशा के कलाकारों द्वारा इस कला पर आधारित कार्यक्रमों की शानदार प्रस्तुतियां पर्यटकों का मन मोह रही हैं।

 23 फरवरी तक अंतरराष्ट्रीय सूरजकुंड मेले का आयोजन पर्यटन विभाग हरियाणा द्वारा किया जा रहा है, मेला में ओडिशा और मध्य प्रदेश थीम स्टेट के रूप में हैं। ओडिशा की पाल संकीर्तन कला भारत का एक पारंपरिक लोक रंगमंच का रूप है, जो कहानी, संगीत, नृत्य और नाटक को और खूबसूरत बनाता है। यह मनोरम प्रदर्शन कला हिंदू महाकाव्यों और पुराणों के प्रसंगों को दर्शाते हुए दर्शकों तक धार्मिक और नैतिक संदेश पहुंचाती है। इस पाल संकीर्तन कला में कहानी को जीवंत करने के लिए कथाकार और अन्य कलाकारों द्वारा शैलीबद्ध गतिविधियां और इशारे शामिल होते हैं, जबकि नाटक में कथाकार और कलाकार अक्सर कहानी के विभिन्न पात्रों को चित्रित करते हैं। यह वर्णन में गहराई और गतिशीलता जोड़ता है।

            संकीर्तन कला सांस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग है। यह क्षेत्र की समृद्ध साहित्यिक और कलात्मक परंपराओं की एक जीवंत अभिव्यक्ति है। यह अद्भुत कला प्रदर्शन समुदाय तक प्राचीन कहानियों और मूल्यों को संरक्षित करने और प्रसारित करने के साधन के रूप में काम करते हैं। पाल संकीर्तन कला का प्रदर्शन अक्सर ओडिशा में त्योहारों और धार्मिक अवसरों के दौरान किया जाता है। यह ओडिशा की समृद्ध संस्कृति की आकर्षक झलक प्रस्तुत करता है। यह कहानी, संगीत और नाटक की शक्ति का प्रमाण है जो दर्शकों को जोड़ने, शिक्षित करने और प्रेरित करने के लिए है। 23 फरवरी तक चलने वाले इस मेले में इस कला को बरकरार रखने के लिए कलाकार सराहनीय कार्य कर रहे हैं।

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