पानी बचाना हर व्यक्ति की जिम्मेदारी-चावला
एनडी हिन्दुस्तान
करनाल। एचएपी मधुबन के निदेशक डा. अरशिंदर सिंह चावला ने कहा है कि पानी का अत्यधिक दोहन चिंता का विषय है। भावी पीढिय़ों के लिये पानी बचाना हर व्यक्ति की नैतिक जिम्मेदारी है। खुद से शुरुआत करके दूसरों को भी पानी बचाने के लिये प्रेरित करना होगा।
डा. चावला आज मधुबन पुलिस अकादमी के ऑडिटोरियम हॉल में भावी पीढ़ी के लिए भू-जल संरक्षण एवं वर्षा जल संचयन विषय पर आयोजित कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रहे थे। कार्यशाला का आयोजन कृषि एवं किसान कल्याण विभाग की स्थानीय भूमि एवं जल संरक्षण शाखा द्वारा किया गया। उन्होंने रंगरूटों से अपील की कि वे खुद भी पानी का वाजिब इस्तेमाल करें और दूसरों को भी इसके लिये प्रेरित करें। पानी के बिना जीवन का अस्तित्व नहीं है। पानी का अत्यधिक दोहन चिंता का विषय है। सरकार तो अपने स्तर पर जल संरक्षण के लिये कदम उठा ही रही है पर इसके लिये जनभागीदारी भी जरूरी है। पानी बचाने से आंतरिक संतुष्टि भी प्राप्त होगी।
कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि पंचायत विभाग के पूर्व महानिदेशक बीएस मलिक ने कहा कि जल संचयन में प्लास्टिक थैलियां एक बड़ी बाधा हैं। दुर्भाग्य की बात है कि पाबंदी के बावजूद प्लास्टिक की थैलियां धड़ल्ले से बिक रही हैं। प्लास्टिक का प्रयोग न करने के लिये लोगों को जागरूक करना होगा। उन्होंने कहा कि कहा जा रहा है कि अगला विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा।
उन्होंने कार्यशाला में मौजूद लोगों से अपील की कि पानी बचत की शुरूआत घर से करें। रसोई के फालतू पानी को नाली में बहाने की बजाय पेड़-पौधों व सब्जियों में डालें, ब्रुश अथवा हाथ धोते समय नल को खुला न छोड़ें, संभव हो तो नहाते समय फव्वारे की बजाय बाल्टी का प्रयोग करें, वाहन गली अथवा सडक़ पर रोजाना न धोयें, समारोहों में पानी की बोतलों का उचित इस्तेमाल करें। पानी के अधिक प्रयोग से बिजली की खपत भी बढ़ती है। उन्होंने कहा कि केवल कानून बनाने से काम चलने वाला नहीं, हर व्यक्ति को जिम्मेदारी का निर्वहन करना होगा।
सहायक भूमि संरक्षण अधिकारी सुरेंद्र टामक ने इस मौके पर जल संरक्षण के लिए अपनाई जा रही टपका विधि, फव्वारा विधि, यूजीपीएल, फसल विविधीकरण, डीएसआर आदि के बारे में जानकारी दी। साथ ही बताया कि जल संरक्षण के लिये करनाल ब्लाक के 41 गांवों में अटल भू जल योजना के तहत कार्य किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एक किलो चावल पैदा करने में ढाई से चार हजार लीटर पानी की खपत होती है। अकादमी परिसर में भी वर्षा जल संचयन के लिये 65 से अधिक वर्षा जल संचयन टैंक स्थापित किए गए हैं।
भू जल सहेली सम्मानित
मुख्य अतिथि ने इस मौके पर रिंकू शर्मा रम्बा, अनीता रानी डबरकी पार, अनीता रानी ऊंचा समाना, उर्मिला रानी रूकनपुर, रीना शर्मा संगोहा, रीटा सैनी संगोही, निशा रानी पुंडरक, मुमताज बजीदा जाटान, शिक्षा सोहाना, बालकिशा सुभरी और सुमन खरकाली को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।
इस मौके पर अटल भू-जल योजना पर वीडियो फिल्म दिखाई गई। कार्यशाला में मंडल भूमि संरक्षण अधिकारी डा. मुकेश कुमार, एक्सईएन एवं नोडल अधिकारी रणबीर सिंह, एसपी पुष्पा एचपीएस, डीएसपी गोरखपाल राणा, मुकेश यादव, कृषि निरीक्षक वीरेंद्र सिंह, कृष्ण कुमार, कमल, लख्मी चंद आदि मौजूद रहे। मंच संचालन आईईसी विशेषज्ञ राजीव शर्मा ने किया।