लोकल फॉर वोकल आत्मनिर्भर बनने का मंत्र : सतीश कुमार
उच्च शिक्षा के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने की योजना : प्रो. कुठियाला
नव भारत के निर्माण में आत्मनिर्भर होना बहुत जरूरी : प्रो. सोमनाथ
हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद, स्वदेशी स्वावलम्बन न्यास तथा कुवि के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित
‘स्वदेशी स्वावलम्बन से आत्मनिर्भरता’ विषय पर कार्यक्रम आयोजित
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र, 20 जनवरी। भारत के प्रसिद्ध आर्थिक विशेषज्ञ एवं स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संगठक सतीश कुमार ने कहा कि कौशल-विकास के द्वारा रोजगार एवं स्वरोजगार के नए अवसर पैदा किए जा सकते हैं। स्वरोजगार के द्वारा हम भारत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा सकते हैं। वे मंगलवार को हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद, स्वदेशी स्वावलम्बन न्यास तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित ‘स्वदेशी स्वावलम्बन से आत्मनिर्भरता’ विषय व आत्मनिर्भर हरियाणा पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के समिति कक्ष में उपस्थित हरियाणा सहित पड़ोसी राज्यों से आए कुलपतियों के साथ विमर्श के दौरान सम्बोधित कर रहे थे।
सतीश ने कहा कि आज हम परनिर्भर स्थिति से निकलकर परस्पर निर्भरता के साथ आत्मनिर्भर बनने की दिशा की तरफ कदम बढ़ा रहे हैं। कृषि व पशुपालन क्षेत्र में गुजरात की अमूल संस्था की सफलता का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि भारत इन दोनों क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता के नए आयाम स्थापित कर सकता है। उन्होंने इस विषय पर जोर दिया कि आत्मनिर्भर भारत की शुरूआत आत्मनिर्भर हरियाणा की सफलता के साथ भारत वर्ष में सबसे पहले होगी। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वदेशी मॉडल को आज के समय की जरूरत बताया। उन्होंने गरीबी रेखा से हर व्यक्ति को ऊपर उठाने के लिए भारतीय स्वदेशी मॉडल को समय की मांग बताया।
उन्होंने कहा कि हमारे देश के नीति-निर्माता लगातार अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के लिए धरातल पर तरह-तरह के प्रयास कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय को भारत के लिए एक बहुत ही अच्छे मौके के रूप में देख रहे हैं। 12 मई को प्रधानमंत्री मोदी ने अपने राष्ट्र के नाम संबोधन में देश की आम जनता से कहा था कि संकट के इस दौर में “लोकल“ ने ही हमें बचाया है, स्थानीय स्तर पर निर्मित उत्पादों ने ही हमें आगे बढ़ने का रास्ता दिखाया है, हमें इसे ही अपने आत्मनिर्भर बनने का मंत्र बनाना चाहिये, अपने संबोधन में उन्होंने पहली बार “लोकल फॉर वोकल“ का एक नया नारा भी देश की सम्मानित जनता को दिया था। स्वदेशी व आत्मनिर्भर भारत के भाव से यह लड़ाई हमने 3 माह में जीती।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय अध्ययनों के अनुसार यह बात स्पष्ट होती है कि भारत प्राचीन काल से ही आत्मनिर्भर रहा है। अंग्रेजों के आने तक भारत न केवल स्वावलम्बी देश था परन्तु विश्व के व्यापार में भारत का हिस्सा 25 प्रतिशत से अधिक था। आज हमें योजना बनाकर भारत को आत्मनिर्भर बनाने की जरुरत है। पूरे विश्व की जीडीपी में भारत का एक तिहाई योगदान था। मुगलों के राज में भी भारत की जीडीपी 23.7 थी। अंग्रेजों के समय सर्वाधिक जीडीपी का नुकसान हुआ और यह घटकर स्वतंत्रता के समय 4.8 प्रतिशत हो गया। उन्होंने बताया कि भारत में आज भी संसाधनों की उपलब्धता है। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता भारत का सर्वमान्य राष्ट्रीय उद्देश्य है। इसी को ध्यान में रखकर कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान पीपी किट, वेंटिलेटर एवं दवाईयों में आत्मनिर्भरता की ओर भारत ने महत्वपूर्ण कदम बढ़ाए हैं। उन्होंने कहा कि युवा पीढ़ी में आत्मनिर्भरता को लेकर संकल्पित होने की आवश्यकता है। उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शिक्षकों के माध्यम से आत्मनिर्भरता के मंत्र को सार्थक करने की जरूरत है ताकि युवा विद्यार्थी रोजगार ढूंढने की बजाय रोजगार प्रदान करने वाले बन सके। उन्होंने कहा कि आत्मनिर्भरता के संदेश को उच्च शिक्षा परिषद विद्यार्थी प्रेरणा अभियान के रूप में आगे बढ़ाएगी। इस अवसर को वास्तविकता में बदलने के लिए महायज्ञ की आवश्यकता है।
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने विद्यार्थी जागरण विषय पर विमर्श के दौरान कहा कि युवाओं में स्वदेशी स्वावलम्भन का स्वभाव जागृत करना व गरीबी मुक्त एवं सम्पूर्ण रोजगारयुक्त हरियाणा बनाने के लिए हमें धरातल पर कार्य करना होगा और रोजगार केन्द्रित शिक्षा एवं नीतियां बनानी होगी। हमारी नीतियों में विद्यार्थियों को रोजगार की वास्तविक स्थिति का पता होना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि हरियाणा राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल के निर्देशन में हरियाणा से गरीबी हटाने व आत्मनिर्भर हरियाणा के लिए सरकारी योजनाओं के क्रियान्वन के लिए विशेष कार्यशालाएं एवं जागरूकता अभियान चलाए गए हैं। कृषि क्षेत्र व अव्यवस्थित क्षेत्रों में स्वरोजगार से नए अवसरों को पीढ़ियों तक निश्चित किया जा सकता है। शिक्षकों को सम्मान, प्राकृतिक खेती, योग एवं पर्यावरण विषयों में कलस्टर व नोडल अधिकारी बनाकर जन-जागरण के लिए कार्यशालाएं आयोजित की जा सकती है।
इस बैठक के दौरान श्री विश्वकर्मा कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति राज नेहरू ने विकास योजनाओं का संकलन एवं प्रचार विषय पर कहा कि आत्मनिर्भरता के लिए विकास योजनाओं का संकलन एवं प्रचार जरूरी है। भारत को आत्मनिर्भर बनने के लिए उत्पादन एवं निर्यात को बढ़ाना होगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार की योजनाओं के साथ युवाओं में आत्मनिर्भरता के प्रति जागरूकता लाने की आवश्यकता है।
जेसी बोस विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. दिनेश कुमार ने कारीगर प्रशिक्षण विषय पर कहा कि भारत ने विश्व को कुशल कारीगर जिसमें वेल्डर, फिटर, मैकेनिक एवं इंजीनियर दिए हैं जो अपने हुनर के कारण सारे विश्व में अपना लोहा मनवा रहे हैं। भारत में श्रमिक क्षेत्र के कारीगर को कुशल प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है।
जम्मू केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक कुमार ने आर्थिक एवं बौद्धिक दरिद्रता विषय पर कहा कि शिक्षण संस्थानों में चिन्तन की प्रक्रिया होनी चाहिए। इकोनोमिक माडलिंग कभी भी सरकार पूरा नहीं कर सकती। संसाधन आधारित शिक्षा प्रणाली बहुत जरूरी है। चौधरी बंसीलाल विश्वविद्यालय भिवानी के कुलपति प्रो. राजकुमार मित्तल ने जिला विकास योजना विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि विद्यार्थियों की दक्षता एवं स्थानीय क्षमताओं को समझकर ज्ञान, नवाचार के लिए उच्च शिक्षा का प्रयोग करना होगा। आर्युवेद, मेडिकल टूरिज्म, ट्रेंड मेनपावर, एग्रो प्रोसेसिंग के क्षेत्रों में उत्पादन क्षमता को बढ़ाना होगा।
गुरू जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के प्रो. टंकेश्वर ने उद्यमन एवं नवाचार विषय पर बताया कि कोई भी आइडिया, समस्या निदान नवाचार हो सकता है। इसके लिए हर विभाग में विद्यार्थियों के लिए नवाचार कार्यशाला होनी चाहिए। हम हर वर्ष शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों को इंडस्ट्री से जोड़ सकते हैं।
स्वदेशी जागरण न्यास से जुडे़ मनोनीत ने उद्योग जगत से समन्वय विषय पर विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज उद्योग जगत सरकार की योजनाओं जैसे ई-कामर्स पोर्टल, सिंगल विंडो प्रणाली का स्वागत कर रहा है। लघु व मध्यम उद्योगों में सरकारी योजनाओं का आजीविका के लिए अधिकतम प्रयोग होना चाहिए। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय इसके प्रचार के लिए महत्वपूर्ण ईकाई हो सकते हैं।
हरियाणा राज्य तकनीकी शिक्षा आयोग के सचिव डॉ. राजेश गोयल ने तकनीकी शिक्षा का रूपातरण विषय पर पाठ्यक्रमों की पुर्नसंरचना, प्रासंगिकता, नई शिक्षा नीति का प्रयोग, प्रायोगिक विषय आधारित व इडस्ट्री आधारित नीतियां, समय की मांग आधारित विषय, व्यक्तित्व विकास, भारतीय वैज्ञानिक आधारित खोजें आदि विषयों को रखा।
इसके पश्चात आईआईएलएम विश्वविद्यालय गुरूग्राम की कुलपति डॉ. सुजाता शाही, गुरूग्राम विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर मार्कण्डेय आहूजा, इंदिरा गांधी विश्वविद्यालय रेवाड़ी के कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार गक्खड़, चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा के कुलपति प्रो. अजमेर मलिक, स्वदेशी स्वावलम्बन न्यास से माननीय विजय वत्स, देशभगत विश्वविद्यालय पंजाब के कुलपति प्रो. विरेन्द्र सिंह, नोर्थ कैप विश्वविद्यालय गुरूग्राम से प्रो. राघवेन्द्र व प्रो. देसाई ने आत्मनिर्भरता विषय पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
इस मौके पर आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति बलदेव धीमान, स्वदेशी स्वावलम्बन न्यास से केशव, डॉ. अंकेश्वर, डॉ. कृष्ण जाटियान, प्रो. अनिल वशिष्ठ, प्रो. ब्रजेश साहनी, प्रो. बीएस बोदला, प्रो. राजेन्द्र नाथ, प्रो. अनुरेखा, डॉ. दीपक राय बब्बर, डॉ. मधुदीप, डॉ. रणवीर सिंह, डॉ. प्रदीप चौहान, डॉ. महासिंह पूनिया, राजकुमार सरदाना व राजेन्द्र सैनी उपस्थित थे।