एनडी हिन्दुस्तान
चंडीगढ़ ।हरियाणा के मुख्य सचिव श्री अनुराग रस्तोगी ने राज्य में कार्यरत लोक सेवकों (पब्लिक सर्वेंट्स) को सबूत (एविडेंस) प्रस्तुत करने तथा न्यायालय की कार्यवाही में गवाह के रूप में उपस्थित होने के लिए ‘ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यम’ का उपयोग करने के संबंध में व्यापक निर्देश जारी किए हैं।
ये निर्देश भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता,2023 के प्रावधानों के अनुरूप हैं, जिससे आधुनिक ऑडियोवीडियो प्रौद्योगिकी के माध्यम से गवाहों की जांच तथा न्यायालयों में व्यक्तियों की उपस्थिति सुगम होगी।
मुख्य सचिव श्री रस्तोगी ने प्रौद्योगिकीसंचालित इस पहल का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए कई निर्देशों की रूपरेखा प्रस्तुत की।
सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागाध्यक्षों, प्रबंध निदेशकों तथा बोर्डों एवं निगमों के मुख्य प्रशासकों को लिखे पत्र में मुख्य सचिव ने इन निर्देशों का अक्षरशः तथा सख्ती से पालन करने पर जोर दिया है। किसी भी तरह की ढिलाई या गैर-अनुपालन को गंभीरता से लिया जाएगा।
हरियाणा सरकार के सभी संबंधित अधिकारी और कर्मचारी यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे कि आधिकारिक क्षमता में गवाह के रूप में उनकी गवाही या जांच ऑडियोवीडियो इलेक्ट्रॉनिक साधनों के माध्यम से की जाए। अधिकारियों/कर्मचारियों को अपनी गवाही का सुचारू निष्पादन सुनिश्चित करने के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधा की व्यवस्था करने वाले न्यायालय अधिकारी या संबंधित लोक अभियोजक (पब्लिक प्रॉसिक्यूटर) के साथ सक्रिय रूप से समन्वय स्थापित करना होगा।
यदि कोई न्यायालय सबूत प्रस्तुत करने के लिए किसी सरकारी अधिकारी/कर्मचारी की शारीरिक उपस्थिति को अनिवार्य करता है, तो व्यक्ति को अपने कार्यालय प्रमुख से पूर्व अनुमति लेनी होगी, जिसमें ऐसी उपस्थिति के लिए विस्तृत कारण और औचित्य का उल्लेख भी करना होगा। कार्यालय प्रमुख को शारीरिक उपस्थिति की आवश्यकता का आकलन करके यह सुनिश्चित करना होगा कि अनुमति नियमित रूप से या यंत्रवत् न दी जाए।बिना अनुमोदन के अनधिकृत शारीरिक उपस्थिति के लिए कोई यात्रा भत्ता (टीए) और महंगाई भत्ता (डीए) नहीं दिया जाएगा। साथ ही उसके खिलाफ संबंधित सेवा नियमों के तहत अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता,2023 की धारा 336 के तहत, यदि किसी लोक सेवक द्वारा तैयार किए गए दस्तावेज़ या रिपोर्ट को सबूत के रूप में इस्तेमाल किया जाना है, तो बयान के समय न्यायालय के निर्देश पर, उसी पद पर आसीन परवर्ती (सक्सेसर)अधिकारी मूल अधिकारी की ओर से सबूत प्रस्तुत कर सकता है। यह भी ऑडियो-वीडियो इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से किया जा सकता है।