कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले में आंतरिक कमेटी को शिकायत जरूरी-सीजेएस
एनडी हिन्दुस्तान
करनाल। मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव डॉ. इरम हसन ने कहा है कि कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के मामले में सबसे पहले आंतरिक (इंटरनल)कमेटी को शिकायत करना जरूरी है। जहां आंतरिक कमेटी नहीं है वहां जिला प्रशासन द्वारा गठित लोकल कमेटी को शिकायत की जानी चाहिये। उन्होंने कहा कि यौन उत्पीड़न केवल पुरुष ही नहीं, महिला अथवा ट्रांसजेंडर भी कर सकता है।
डा. इरम हसन आज सीएसएसआरआई के आडिटोरियम में स्त्री-पुरुष समानता में नागरिक दायित्व(संदर्भ पॉश एक्ट 2013)विषय पर आयोजित राज्य स्तरीय कार्यशाला में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं। कार्यशाला का आयोजन महिला एवं बाल विकास विभाग की निदेशक श्रीमती मोनिका मलिक के मार्गदर्शन एवं विभाग के अतिरिक्त सचिव सुधीर राजपाल की प्रेरणा से पुलिस व प्रशासन के सहयोग से किया गया। सीजेएम ने यौन उत्पीड़न होने पर उठाये जाने वाले कदमों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दुर्भावना से किसी महिला को छूना, अश£ील तस्वीर या वीडियो दिखाना, पीछा करना, लक्ष्य बनाकर जलील करना आदि यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आते हैं। उन्होंने कहा कि पीड़ित महिला को तीन महीने के भीतर आंतरिक कमेटी को शिकायत करनी चाहिये। कमेटी को भी तीन माह में जांच पूरी करनी होती है। जरूरत पड़ने पर कमेटी रिकार्ड तलब कर सकती है। जहां आंतरिक कमेटी नहीं है वहां पीड़ित को प्रशासन द्वारा गठित लोकल कमेटी को शिकायत करना जरूरी है। जांच में दोषी पाये जाने पर अपराध की गंभीरता को देखते हुए कमेटी आरोपी के निलंबन, बर्खास्तगी की सिफारिश अथवा एफआईआर भी दर्ज करा सकती है। यौन उत्पीड़न के मामलों में महिला की पहचान को गुप्त रखना जरूरी है। शिकायत झूठी पाये जाने पर महिला पर भी कार्रवाई हो सकती है। उन्होंने कहा कि महिलाओं को अपने साथ अपराध होने पर चुप्पी तोड़नी होगी। उन्हें हक के लिए आवाज उठानी होगी।
मुख्य वक्ता एवं वरिष्ठ पत्रकार धर्मेंद्र भदौरिया ने कहा कि आज भी कई जगह महिलाओं के साथ समानता का व्यवहार नहीं किया जाता। देश में प्रति मिनट कहीं न कहीं महिलाओं के साथ कोई न कोई अपराध हो रहा है। जिन देशों में महिलाओं को बराबरी का अवसर प्रदान किया जा रहा है वे अधिक प्रगति कर रहे हैं। जब-जब महिलाओं को समान अवसर प्राप्त हुए उन्होंने काबिलियत को साबित किया है। हरियाणा की महिलाओं ने ओलंपिक में नाम कमाया है। श्री भदौरिया ने कहा कि समाज में ऐसा माहौल बनाना होगा जिससे कि बहू-बेटियां खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें। सरकार को ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे कि अपराधी महिलाओं के प्रति अपराध करने की हिम्मत न जुटा पाये।
प्रख्यात लेखिका पूनम अरोड़ा ने कहा कि स्त्रियों को अधिकार दिलाने में साहित्य की ऐतिहासिक भूमिका है। उन्होंने कहा कि समाज के संचालन में महिलाओं का अहम योगदान है। लैंगिक समानता का पाठ्यक्रम ही स्त्री-पुरुष समानता का आधार बनेगा। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आर्थिक विकास और लैंगिक समानता के बीच सीधा संबंध है, इसलिए महिलाओं को समाज के सभी क्षेत्रों में समान भागीदारी मिलनी चाहिए।
प्रख्यात लेखक शम्स तबरेजी ने कहा कि बदलते समय में महिलाओं को निर्णय लेने के लिए किसी से पूछने की आवश्यकता नहीं है। आज की महिला हर कार्य को करने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि सभी को मिलकर ऐसा वातावरण बनाना चाहिए जहां महिलाओं को पूर्ण समानता मिले और वे स्वतंत्र रूप से जीवन के निर्णय ले सकें।
इससे पहले डीएसपी मीना कुमारी ने कहा कि पुलिस महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है। डीजीपी शत्रुजीत कपूर के मार्गदर्शन में महिलाओं को तत्काल सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने बताया कि स्कूल और कॉलेज की छात्राओं को अच्छे व बुरे स्पर्श के बारे में जागरूक किया जा रहा है।
इस मौके पर शुरूआत समिति के रंगकर्मियों द्वारा ‘साधना’ नाटक का मंचन किया गया। यह नाटक एक ऐसी लडक़ी की कहानी है जो आई.पी.एस. बनना चाहती है परन्तु घर, परिवार और समाज द्वारा दी गई परिस्थितियों के साथ सामंजस्य बैठाते-बैठाते उसके अपने सपने टूट जाते हैं परन्तु फिर भी वह हार नहीं मानती। इस अवसर पर चित्रकला प्रदर्शन और डॉक्यूमेंट्री फिल्म का भी आयोजन किया गया। जनसंपर्क अधिकारी राजीव रंजन ने न केवल कुशलतापूर्वक मंच संचालन किया बल्कि कार्यशाला के विषय पर विचार भी रखे।
जिला कार्यक्रम अधिकारी सीमा प्रसाद ने कार्यशाला में पहुंचे अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्हें सम्मानित किया। इस मौके पर जिला परिषद की डिप्टी सीईओ रोजी, सीडीपीओ राजबाला मोर, संतोष, जिला बाल संरक्षण अधिकारी रीना फौगाट, संरक्षण अधिकारी सुमन नैन, गुरमीत के साथ सामाजिक कार्यकर्ता प्रदीप शिवरान, काउंसलर पूनम, प्रदीप श्योराण आदि मौजूद रहे।