किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन को देशवासी देख रहे हैं और तहेदिल से कर रहे हैं इसका समर्थन
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र,2 फरवरी। एसयूसीआई के जिला सचिव कामरेड राजकुमार सारसा ने केन्द्रीय बजट 2021 की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि यह आम आदमी के खिलाफ है और मुकम्मल निजीकरण के रोडमैप के सिवा कुछ नहीं है। उन्होंने प्रैस को जारी बयान में कहा कि जब देश के आम लोग एक तरफ निरंतर बढ़ती आर्थिक बदहाली से और दूसरी तरफ महामारी की मार से त्रस्त हैं, अपनी गुजर-बसर के लिए उन्हें राजकोषीय अनुदान और अन्य आवश्यक वित्तीय सहायता की निहायत बेताबी से बडी़ भारी जरुरत है, तब बीजेपी की वित मंत्री ने विकराल रूप लेती बेरोजगारी, आसमान छूती महंगाई, नौकरियों की बढ़ती हानि, धड़ाधड़ हो रही कारखाने बंदी, ईंधन तेल के दामों में बेतहाशा वृद्धि, किसानों को उनकी उपज का लाभकारी मूल्य न मिल पाने आदि उनके जीवन की किसी भी एक भी ज्वलंत समस्या को छुआ तक नहीं। आत्म निर्भर भारत बनाने के नाम पर स्वास्थ्य, शिक्षा, बीमा और बैंकों जैसे सामाजिक कल्याण और सेवा क्षेत्रों सहित तेजी से निजीकरण का एक पूर्ण रोडमैप चालू किया गया है। सारे देश वासी तीन कृषि कानूनों और बिजली बिल 2020, कृषि में कारपोरेट परस्त अन्य सुधारों के खिलाफ देश के अन्नदाता और आबादी के 70 प्रतिशत से ज्यादा हिस्से के किसानों के ऐतिहासिक आंदोलन को देशवासी देख रहे हैं और तहेदिल से इसका समर्थन भी कर रहे हैं। इस आंदोलन में अब तक 153 किसानों की बेशकीमती जानें कुर्बान हो चुकी हैं लेकिन वित्तमंत्री ने आंदोलन की जायज मांग के खिलाफ सरकार के निरंकुश स्टैंड को ध्यान रखते हुए उसके संदर्भ में कोई जिक्र तक नहीं किया। इसके बजाय पिछले साल किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य के भुगतान के कुछ संदिग्ध आंकड़े दिये हैं। जबकि सरकार ने किसानों को एमएसपी को कानूनी दर्जा देने की मांग स्वीकार करने से इंकार कर रही है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि यह सरकार देशी-विदेशी दोनों एकाधिकारी घरानों के वर्ग हितों को साधने के काम में पूरी तनदेही से जुटी हुई है जिन्होंने महामारी के दौरान भी अपनी संपत्ति कई गुना बढ़ा ली है। हम इस जनविरोधी बजट की पुरजोर निंदा करते हैं। बीजेपी सरकार के विश्वासघात पूर्ण और निराशाजनक दृष्टि कोण व रवैए के खिलाफ आम जनता को संघर्ष गठित करने के लिए पुरजोर आह्वान करते हैं।