हंसी के रंग में डूबो गया नाटक सैंया भए कोतवाल
सैंया दिल मांगे चवन्नी उछाल के
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र,5 फरवरी। कोरोना महामारी के चलते समाज के प्रत्येक वर्ग पर गहरा असर हुआ है, जिसके कारण न केवल लोगों का जीवन प्रभावित हुआ, बल्कि मनोरंजन के साधनो पर भी विराम लग गया था। लेकिन अब धीरे-धीरे कोरोना का भय लोगों के मन से गायब हो रहा है। जिसके कारण सभी गतिविधियां दोबारा पटरी पर आ चुकी हैं। कोरोना महामारी के दौरान हरियाणा कला परिषद द्वारा भी आनलाईन सांस्कृतिक आयोजन कर कला और संस्कृति का विस्तार किया जा रहा था, लेकिन अब मंचीय प्रस्तुति प्रारम्भ कर दी गई हैं। जिसके चलते हरियाणा कला परिषद द्वारा हास्य नाटक सैंया भए कोतवाल का मंचन अभिनय रंगमंच के सातवें रंग आंगन उत्सव में किया गया। संजय भसीन के निर्देशन में तैयार नाटक ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया। भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करते सैंया भए कोतवाल में सूर्यपुर नगर की कहानी को दिखाया गया।
मूर्ख राजा रणधीरा के कोतवाल के मरने के बाद सभी को नए कोतवाल की चिंता लग जाती है। जिसका फायदा प्रधान उठाता है और अपने बेवकूफ साले को कोतवाल बना देता है। राज्य का हवलदार और सिपाही नए कोतवाल को देखकर खुश नहीं होते और उसे फंसाने की तरकीब सोचने लगते हैं। कोतवाल से बात करने पर हवलदार को पता चलता है कि उसे गाना सुनने का शौंक है। ऐसे में हवलदार अपनी प्रेमिका मैनावती के साथ मिलकर कोतवाल को फसाने की चाल चलता है और कोतवाल के आगे मैनावती के प्यार का झांसा डाल देता है। मैनावती कोतवाल से शादी करने की शर्त पर राजा का छपरी पलंग मांग लेती है। कोतवाल हवलदार और सिपाही से छपरी पलंग मंगवा लेता है। वहीं हवलदार राजा को भी इस चोरी की खबर दे देता है। छपरी पलंग आने के बाद कोतवाल जब मैनावती से शादी करने पहुंचता है तो राजा ब्राहम्ण का वेश धरकर शादी करवाने पहुंच जाता हैं, जहां दोनों की शादी हो जाती है। लेकिन बाद में नाटक से जब पर्दा उठता है तो पता चलता है कि दुल्हन मैनावती नहीं बल्कि मैनावती का शागिर्द सख्या है। अंत में राजा हवलदार से खुश होकर उसे कोतवाल बना देता है।
नाटक में कलाकारों के अभिनय के साथ-साथ संगीत ने जान डालने का काम किया। सैंया दिल मांगे चवन्नी उछाल के, अंखिया मिलाके, जिया धड़काके चले नहीं जाना, भाई-भतीजावाद का जोर सवा हो गया जैसे गीतों पर दर्शक भी झूमते नजर आए। शुभम कल्याण, गोविंदा, विकास शर्मा, निकिता, सिद्धार्थ सिद्धू और संजय वशिष्ट ने संगीत को बांधे रखा। वहीं राजा की भूमिका नितिन गुप्ता, कोतवाल शिवकुमार किरमच, प्रधान चंचल शर्मा, हवलदार रजनीश भनौट, सिपाही गौरव दीपक जांगड़ा, सख्या राजीव कुमार तथा गणेश की भूमिका आकाशदीप ने निभाई। प्रकाश व्यवस्था मनीष डोगरा ने सम्भाली। इस मौके पर अभिनय रंगमंच के अध्यक्ष मनीष जोशी, कला परिषद के अतिरिक्त निदेशक महाबीर गुड्डू, धर्मपाल, रविंद्र कुमार, डा. सतीश कश्यप, राखी जोशी आदि भी उपस्थित रहे।