वैचारिक उन्नति ही सच्ची उन्नति:आचार्य देवव्रत
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। वैचारिक विकास ही भारतीय गुरुकुलों में शिक्षा का मूल आधार रहा है, विचार की शक्ति ही व्यक्ति को दुनिया की भीड़ से अलग करती है और उसे महान् बनाती है इसलिए विद्यार्थी को अपने समय के एक-एक क्षण का सदुपयोग करते हुए अपने चिन्तन, अपने विचारों को श्रेष्ठ बनाना चाहिए। ये विचार आज गुरुकुल कुरुक्षेत्र में छात्रों को सम्बोधित करते हुए गुजरात के राज्यपाल एवं गुरुकुल के संरक्षक आचार्य देवव्रत ने व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि केवल मात्र धन की प्राप्ति से वास्तविक सुख प्राप्त नहीं हो सकता बल्कि अच्छी षिक्षा के साथ उत्तम स्वास्थ्य और उच्च विचारों से ही मनुष्य सच्चे सुख को पा सकता है। इस अवसर पर गुरुकुल के प्रधान कुलवन्त सिंह सैनी, निदेशक व प्राचार्य कर्नल अरुण दत्ता, सह प्राचार्य शमशेर सिंह सहित समस्त अध्यापक एवं संरक्षकगण उपस्थित रहे।
मंच संचालन मुख्य संरक्षक संजीव आर्य ने किया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कोरोना पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि देश से कोरोना अभी पूरी तरह से गया नहीं है, अत: सभी को सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशो का पालन करना चाहिए, थोड़ी-सी लापरवाही भारी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के कुशल नेतृत्व का ही कमाल है कि कोरोना काल में दूसरे देशों की अपेक्षा हमारे देश में न केवल कम हानि हुई, बल्कि देश तेजी से उन्नति की ओर अग्रसर है। पहले जहां सेना के ट्रक भी हम दूसरे देशों से खरीदते थे, वहीं आज टैंक से लेकर लड़ाकू विमान तक स्वयं बना रहे हैं। कोरोना की वैक्सीन भी भारत ने सबसे पहले बनाकर दुनिया के सामने एक मिसाल कायम की है।
उन्होंने कहा कि कोरोना से विद्यार्थियों को बहुत भारी नुकसान हुआ है क्योंकि जो पढ़ाई क्लासरूम में अध्यापकों के सान्निध्य में बैठकर होती है, ऑनलाइन ऐसा संभव नहीं है। अब धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो रही है और स्कूल, कॉलेज खुल रहे है ऐसे में छात्रों को पूरी लगन और मेहनत से पढ़ाई करते हुए अपने लक्ष्य की प्राप्ति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि वार्षिक परीक्षाए नजदीक है, ऐसे में प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी पूरी क्षमता से अपने लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। आचार्य देवव्रत ने कहा कि गुरुकुलों की परम्परा रही है कि बच्चों को केवल अक्षरज्ञान न देकर उनका शारीरिक, बौद्धिक और आत्मिक विकास किया जाए और गुरुकुल कुरुक्षेत्र ऋषियों की इस परम्परा का निर्वहन पूरी निष्ठा से कर रहा है। उन्होंने कहा कि समय बड़ा मूल्यवान है और विद्यार्थियों को समय के मूल्य को पहचानते हुए एक-एक पल का उपयोग अपने जीवन निर्माण के लिए राष्ट्र निर्माण के लिए करना चाहिए।