Friday, November 22, 2024
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विश्व में खेती का सूत्रपात और वैज्ञानिक विकास का प्रारंभ महिलाओं ने ही किया : डा. सिंह

by Newz Dex
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कृषि वैज्ञानिकों ने दी अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर शुभकामनाएं 

महिलाएं राष्ट्र के विकास में पुरूषों के बराबर ही महत्त्व रखती हैं : डा. सी बी सिंह   

न्यूज डेक्स संवाददाता

कुरुक्षेत्र। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर कृषि वैज्ञानिकों ने भी शुभकामनाएं दी हैं। वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डा. सी बी सिंह ने देशभर की महिलाओं की अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर सराहना करते हुए कहाकि ग्रामीण अथवा शहरी, अंतरिक्ष व अनुसंधान कोई भी क्षेत्र हो महिलाओं ने अपनी प्रतिभा एवं साहस का लोहा मनवाया है। उन्होंने कहाकि महिलाएं देश आबादी का लगभग आधा अंश होती हैं। महिलाएं परिवार, समाज व समुदाय का एक बड़ा ही सार्थक अंग हैं। जो समाज के स्वरूप को सशक्त रूप सेे प्रभावित करती हैं। डा. सिंह ने कहाकि भारतीय समाज में तो हर दिन महिला दिवस है। महिलाएं राष्ट्र के विकास में पुरुषों के बराबर ही महत्व रखती हैं।

उन्होंने कहाकि हमारे देश में 70 प्रतिशत आबादी आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती करती है। उनमें से अधिकांश कृषि कार्यों पर निर्भर हैं। ग्रामीण महिलाएं गृह कार्य तथा बच्चों को संभालने के साथ-साथ खेतों के काम में भी हाथ बंटाती हैं। कृषि वैज्ञानिक डा. सिंह ने कहा इतिहास में प्रमाण मौजूद हैं कि विश्व में खेती का सूत्रपात और वैज्ञानिक विकास का प्रारम्भ महिलाओं ने ही किया। घर और खेत पर महिलाओं का देेश के आर्थिक विकास में बराबर का योगदान रहता है। कृषि में उत्पादन बढ़ाने के लिए नवीनीकरण और नई तकनीक में भी महिलाओं की भागीदारी है।

उन्होंने कहाकि महिलाओं के प्रत्यक्ष योगदान एवं सक्रिय भागीदारी के परिणामस्वरूप भारत अनेक प्रकार के फल, सब्जी और अनाज के मामले में महत्वपूर्ण उत्पादक देश बन गया है। पशुपालन, मछली पालन, चटनी, अचार, मुरब्बे खाद्य परिरक्षण, हथकरघा दस्तकारी जैसे कामों में ग्रामीण महिलाएं काफी आगे हैं। वे खेेतों के काम करने के अलावा कृषि सम्बन्धी मामलों में महत्त्वपूर्ण निर्णय भी लेती हैं।

कृषि वैज्ञानिक डा. सिंह ने कहाकि कृषि उत्पादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका होते हुए भी महिलाओं को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कृषि कार्यों में लगी महिलाओं की अपनी कोई अलग पहचान नहीं है क्योंकि अर्थव्यवस्था की बागडोर प्रायः पुरुषों के पास रहती है। अधिकतर महिलाओं के पास जमीनों के मालिकाना हक भी नहीं है। उनकी अशिक्षा, अनभिज्ञता, उदासीनता और अंधविश्वास रास्ते के रोड़े साबित होते हैं। पुरुषों की तुलना में उन्हें मजदूरी भी कम मिलती है। उन्हें शिक्षा, सूचना तथा मनोरंजन के अवसर भी अपेक्षाकृत कम मिलते हैं।

डा. सिंह ने सरकार के प्रयासों बारे चर्चा करते हुए बताया कि कृषि मंत्रालय के स्तर पर निरंतर इस बात के प्रयास किये जा रहे हैं कि कृषि कार्यों में लगी ग्रामीण महिलाओं की स्थिति में तेजी से सुधार हो। हमारे देश में कृषि विज्ञान केन्द्रों के द्वारा विकास हेतु कृषि कार्यों में लगी महिलाओं के लिये विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाये जाते हैं। इनके द्वारा सिर्फ संस्थागत प्रशिक्षण की ही व्यवस्था नहीं की गई है बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में महिला चर्चा मंडल स्थापित किये जाते हैं और उनके माध्यम से महिलाओं के पास उन्नत कृषि एवं गृह विज्ञान के तकनीकों को पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है। आकाशवाणी के विभिन्न केंद्रों से महिलाओं के लिये कृषि, पशुपालन, बाल विकास तथा पोषाहार से संबंधित तकनीकी सूचनाएं प्रसारित की जाती हैं।

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