महाशिवरात्रि पर श्री काम्यकेश्वर तीर्थ पर हुआ श्रद्धा एवं भक्तिभाव से पूजन और अभिषेक
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। जयराम संस्थाओं के परमाध्यक्ष ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी के निर्देशानुसार गांव कमौदा में स्थित श्री काम्यकेश्वर महादेव मंदिर तीर्थ को महाशिवरात्रि के अवसर पर सजाया गया तथा शिवभक्तों ने श्रद्धा एवं भक्तिभाव के साथ पूजन और अभिषेक किया। परमाध्यक्ष ब्रह्मचारी का कहना है कि धर्मनगरी कुरुक्षेत्र के तीर्थों का ऐतिहासिक महत्व के साथ ही आध्यात्मिक व पौराणिक महत्व भी है। ऐसी मान्यता है कि पवित्रता एवं वरदान से इसी स्थान पर प्राणी को मृत्यु उपरांत स्वयमेव ही मुक्ति मिल जाती है।
बताया जाता है कि महाभारत में 18 अक्षौहिणी सेना वीरगति को प्राप्त हुई थी। ब्रह्मचारी ने बताया इसके पीछे इस धरती को मिला वरदान था। इसी वरदान के कारण भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के लिए इस धरती का चुनाव किया था ताकि युद्ध में मरने वालों को सहजता से मोक्ष मिल सके। इसके बाद परंपरा और पुख्ता हुई। उन्होंने बताया कि वामन पुराण के अध्याय 18 से 28 तक भगवान विष्णुजी ने कहा कि ब्रह्माजी की 5 वेदियां धर्मसेतु के समान हैं। पहली प्रयाग में मध्यवेदी, दूसरी गया में पूर्व वेदी, जगन्नाथपुरी में दक्षिण वेदी, पुष्कर में पश्चिम वेदी और कुरुक्षेत्र में उत्तर वेदी स्थित है। यहीं पर राजा कुरु ने अष्टांग की खेती की थी।
राजा कुरु ने भगवान विष्णु से वर मांगा कि यहां स्नान करने और मृत्यु होने पर महा पुण्यवान हों। मोक्ष प्राप्त हो इसलिए यह क्षेत्र ब्रह्मवेद, कुरुक्षेत्र कहलाया। ब्रह्मचारी ने बताया कुरुक्षेत्र में त्रिधा मुक्ति मिलती है। गंगा के जल में मुक्ति, वाराणसी के जल और स्थल में मुक्ति है, लेकिन कुरुक्षेत्र के जल, स्थल और अंतरिक्ष में तीनों से मुक्ति है इसीलिए गंगा में अस्थि विसर्जित करने का विधान है। काशी में जल स्थल में मुक्ति है, वहां रहकर स्नान करके मुक्ति है। कुरुक्षेत्र में त्रिधा मुक्ति है। ब्रह्मचारी ने बताया कि इसी प्रकार कुरुक्षेत्र के महाभारतकालीन श्री काम्यकेश्वर महादेव की विशेष महत्ता है। यह तीर्थ काम्यकवन की पवित्र धरती पर गांव कमोदा के निकट स्थित है। इस अवसर पर रोहित कौशिक, शुमेन्द्र शास्त्री, राहुल शर्मा, लाल सिंह, शीशपाल, देवी चंद, अमोलक राम, भगवत दयाल, पवन व अन्य ग्रामीण भी मौजूद थे।