कभी यहां था पंजाब के मुगल वायसराय अली मर्दान खां (1639 ई.) का आवास
1803 में सर डेविड ऑक्थरलोनी का आवास बना,
1804 से 1904 तक यहां चलता रहा एक सरकारी कॉलेज और स्कूल
न्यूज डेक्स इंडिया
दिल्ली। 28वां समझौता ज्ञापन-एमओयू के तहत 15 मार्च 2021 को “एडॉप्ट ए हेरिटेज, यानी एक विरासत को अपनाएं: अपनी धरोहर, अपनी पहचान” परियोजना दारा शिकोह पुस्तकालय भवन, दिल्ली को प्रदान की गयी है। परियोजना भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय सहित सरकारी हितधारकों, कला, संस्कृति और भाषा विभाग (पुरातत्व विभाग के माध्यम से) राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार और निजी संस्थाएं अर्थात स्मारक मित्र, कला और सांस्कृतिक विरासत न्यास और संग्रहालय तथा कला परामर्श द्वारा संयुक्त रूप से कार्यान्वित की जाएगी।
इस समझौता ज्ञापन के तहत, स्मारक मित्र ने भवन और बाहरी क्षेत्र की सफाई, कचरे के डिब्बे की व्यवस्था, बेंच, शौचालय, व्याख्यात्मक संकेत और दिशा सूचक संकेत, पीने के पानी की सुविधा, रोशनी (आतंरिक और बाहरी) सहित बुनियादी सुविधाओं के विकास, भूनिर्माण, सभी के लिए उपयोग / अवरोध मुक्त स्मारक / सभी के लिए सुगमता का प्रावधान,(दिव्यांगजनों के लिए शौंचालय, रैंप, व्हील चेयर, ब्रेल संकेतक), इंटरैक्टिव और अनुभवात्मक अवधि (अनुमानों, फोटो बूथ, टच स्क्रीन और दीवारों) सहित दीर्घाओं की स्थापना, प्राचीन वस्तुओं के आरक्षित संग्रह के लिए कक्ष / सुरक्षा, सुरक्षा प्राचीन वस्तुओं के संग्रह के लिए कक्ष / सुरक्षा, सुरक्षा और उन्नत निगरानी प्रणाली (जैसे पीटीज़ेड आधारित सीसीटीवी कैमरे) आदि और उन्नत सुविधाएं जैसे कैफेटेरिया (आउटडोर कैफे), स्मारिका दुकान, ब्रोशर और पत्रक, पुस्तकालय और पढ़ने के क्षेत्र, कला प्रतिष्ठान, वेबसाइट डिजाइनिंग, ऐप आधारित बहुभाषी ऑडियो-गाइड, वाई-फाई आदि के संचालन और रखरखाव की योजना बनाई है।समझौता ज्ञापन की अवधि पांच साल की प्रारंभिक अवधि के लिए है लेकिन स्मारक मित्र के प्रदर्शन के आधार पर इसकी अवधि बढ़ाई जा सकती है।
दारा शिकोह पुस्तकालय भवन दिल्ली स्थित प्रसिद्ध पुस्तकालयों में से एक है। यह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली कश्मीरी गेट स्थित ‘गुरु गोबिंद सिंह इन्द्रप्रस्थ विश्वविद्यालय’ परिसर में स्थित है। इस पुस्तकालय भवन को मुगल बादशाह शाहजहां के ज्येष्ठ पुत्र दारा शिकोह के नाम से जुड़े होने के कारण इसी नाम से जाना जाता है। कभी इस स्थान पर पंजाब के मुगल वायसराय अली मर्दान खां (1639 ई.) का आवास था। उसके बाद अंग्रेज हुकूमत द्वारा इस परिसर का विस्तार किया और यहां 1803 में सर डेविड ऑक्थरलोनी का आवास बना। वर्ष 1804 से 1904 तक यहां एक सरकारी कॉलेज और स्कूल भी चलता रहा, बाद में भवन में काफी परिवर्तन होते रहे और अब दारा शिरोह पुस्तकालय के नाम से प्रसिद्ध है।