नाटक इंकलाब से सजी नाट्य रंग महोत्सव की दूसरी शाम, इंकलाब के नारों से गूंजा सभागार
शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में हुआ नाटक इंकलाब का मंचन, करनाल के कलाकारों ने दी प्रस्तुति
संदीप गौतम/न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र।बाकी जहां तक आज़ादी का सवाल है, तो बतला दूं कि हिन्दुस्तान को सिर्फ़ आज़ादी की जरूरत नहीं है, और कहीं अगर ये हमें ग़लत तरीके से मिल गई तो मुझे कहने में हिचक नहीं कि आज से सत्तर साल बाद भी हालात ऐसे रहेंगे कि गोरे चले जाएंगे और भूरे आ जाएंगे। कालाबाज़ारी का साम्राज्य होगा। घूसखोरी सर उठा के नाचेगी, अमीर और अमीर होते जाएंगे, ग़रीब और ग़रीब, और धर्म-जाति और ज़ुबान के नाम पर इस मुल़्क में तबाही का ऐसा नंगा नाच शुरू होगा, जिसको बुझाते बुझाते आने वाली नस्लों और सरकारों की कमर टूट जाएगी। ऐसे ही बेहतरीन संवादों के साथ कला कीर्ति भवन की भरतमुनि रंगशाला में नाटक इंकलाब का मंचन हुआ।
पीयूष मिश्रा द्वारा लिखित तथा संजीव लखनपाल के निर्देशन में तैयार नाटक इंकलाब में सार्थक साहित्यिक संघ करनाल के कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया। विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय नाट्य रंग महोत्सव के दूसरे दिन मुख्यअतिथि के रुप में विद्या भारती संस्कृति शिक्षण संस्थान के निदेशक डा. रामेंद्र सिंह ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई। वहीं विशिष्ट अतिथि केडीबी के सचिव मदन मोहन छाबड़ा, सदस्य राजेश शांडिल्य तथा विजय नरुला उपस्थित रहे। अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।
मंच संचालन कला परिशद के मीडिया प्रभारी विकास शर्मा ने किया। अतिथियों का स्वागत करते हुए हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने कहा कि शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित नाटक इंकलाब के द्वारा सरदार भगत सिंह की कुर्बानी को याद करते हुए समाज को उनकी शहादत का मुल्य समझाने का प्रयास किया जा रहा है। महान शहीदों की शहादत के कारण ही आज हम आजादी की सांस ले पा रहे हैं।
वहीं अतिरिक्त निदेशक महाबीर गुड्डू ने अपने विचार सांझा करते हुए कहा कि कला परिषद का हिस्सा बनकर उन्हें गर्व की अनुभूति हो रही है। लगभग एक वर्ष के अंतराल के बाद हरियाणा कला परिषद द्वारा आयोजित किए गए गांधी शिल्प बाजार और नाट्य महोत्सव से न केवल पर्यटकों और दर्शकों को मनोरंजन मिल रहा है, बल्कि कलाकारों को भी अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिल रहा है। उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल का धन्यवाद करते हुए कहा कि संजय भसीन के नेतृत्व में कला परिषद द्वारा किए जा रहे प्रयास सराहनीय है, जो प्रदेश की कला और संस्कृति को निरंतर विस्तार दे रहे हैं।
नाटक में दिखाई सरदार भगत सिंह की शहादत
नाटक मंचन के दौरान कलाकारों ने दिखाया कि एक आम भारतीय के मन में सरदार भगत सिंह की छवि बसी हुई है। यह छवि अपने आप में ही इतनी रूढ़ है कि ये कभी अपनेपन का भाव नहीं जगा सकती। ये छवि सिर्फ़ दूर से देखी भर जा सकती है। इस छवि को तोड़ने या बदलने या इसके भीतर जाने का प्रयास हमने कभी नहीं किया। ना ही कभी यह जानने की कोशिश की कि एक महज 23 साल के नौजवान की इस तरह की छवि क्यों बनाई गई है हमारे देश में क्यों हमने एक सोच के चारों तरफ एक चारदीवारी बनाकर उसे इतने सालों तक रोके रखा और इस स्थिति में फिलहाल कोई बदलाव करने की कोशिश करते नहीं दिख रहे। क्यों नहीं हम समझ पाए कि जिस इंसान ने खुद अपनी सीमाएं कभी नहीं बनाई, उसके दुनिया छोड़ने के बाद उसे कैसे सीमित कर दिया गया। नाटक दरअसल शहीद भगत सिंह के संघर्ष की दास्तान है। मूल नाटक गगन दमामा बाज्यो पर आधारित इंकलाब में भगत सिंह की उस सोच को भी शामिल किया है जिसमें उन्होंने आज के हिंदुस्तान की कल्पना कर ली थी। कलाकारों ने इस नाटक के कथानक में छिपे भावों के अनुरूप ही इसे अंजाम दिया। शुरुआत में मंच पर भगत सिंह और सुखदेव बैठे हैं। दोनों में वार्तालाप के दौर चल रहे हैं। भगत सिंह कहते हैं कि इश्क जैसी पाक साफ चीज के लिए आबोहवा ठीक नहीं, प्रेम अगले जन्म में। इस वक्त मेरी प्रेमिका सिर्फ और सिर्फ आजादी है। नाटक में भगत सिंह का किरदार विनोद कौशिक ने निभाया। वहीं शिववर्मा की भूमिका नाटक निदेशक संजीव लखनपाल ने निभाई। अन्य किरदारों में तरुण विरमानी, सुशांत, गौतम पांचाल, दविंद्र राणा, रोहित जोहान, बृजकिशोर अत्री, रजत शर्मा, आरजू रहेजा, कृतिका, यतिन शर्मा, सतपाल, रितुल, राजवीर तथा गुरनाम ने अपनी भूमिका अदा की। नाटक के पश्चात सभी कलाकारों, अतिथियों तथा नाटक निदेशक को सम्मानित किया गया। इसके अतिरिक्त आॅनलाईन कार्यक्रम करने वाले अमित स्वामी, भाल सिंह, बलबीर सिंह, मनोज कुमार, गुलाब सिंह तथा यशपाल को भी स्मृति चिन्ह भेंट किये गए।
अतिथियों ने की शिल्प मेले की सराहना
दस दिवसीय गांधी शिल्प मेले में भ्रमण करते हुए मुख्यअतिथि रामेंद्र सिंह व विशिष्ट अतिथि मदन मोहन छाबड़ा ने देशभर से आए हुए शिल्पकारों की प्रदर्शनियों का अवलोकन किया तथा मेले की सराहना की। हस्तशिल्प विकास आयुकत वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार तथा उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केद्र प्रयागराज के सहयोग से आयोजित शिल्प बाजार में आए दिन पर्यटकों की संख्या बढ़ती नजर आ रही है। दिनभर आंगतुको का तांता लगा रहता है। एक ओर जहां पर्यटक शिलपकारों की कृतियों का आनंद ले रहे हैं, वहीं बढ़चढ़ कर खरीदारी करते हुए भी नजर आ रहे हैं। शाम के समय प्रतिदिन लोग मेले के साथ साथ नाटकों का आनंद लेते हुए भी नजर आते हैं।