कृष्ण कृपा गौशाला में पांचवे दिन व्यास पीठ से हुई भागवत की अमृत वर्षा
कुवि कुलपति प्रो. सचदेवा ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया कथा का
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। मीरा का भगवान में अटूट विश्वास था और उसी विश्वास के कारण ही मीरा को दिया गया जहर भी अमृत बन गया था। यह उद्गार गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने श्री कृष्ण कृपा गौशाला परिसर में आयोजित भागवत कथा के मंच से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए व्यक्त किये। इस अवसर पर पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा गीता मनीषी का आशीर्वाद लेने के लिए विशेष रूप से कार्यक्रम में शामिल हुए। कथा का शुभारंभ कुवि के कुलपति प्रो. सोमनाथ सचदेवा, दीपक बहल, प्रसिद्ध सर्जन डा. सुरेंद्र मैहता तथा ब्राह्मण एवं तीर्थोद्वार सभा के मुख्य सलाहकार जयनारायण शर्मा ने भागवत जी की आरती उतार कर तथा दीप प्रज्जवलित कर किया। इस अवसर पर अशोक अरोड़ा सहित सभी गणमान्यजनों को आयोजकों की ओर से स्मृति चिह्न भेंट कर सम्मानित किया।
गीता मनीषी ने कहा कि विश्वास पक्का, लक्ष्य अच्छा हो और भाव सच्चा हो तो परमात्मा की अपार कृपा बरसती है। अटूट विश्वास के कारण ही प्रह्लाद अपना इरादा नही छोड़ा। बुराई कभी सम्मान नही पाती प्रह्लाद का विश्वास डगमगाया नही इसलिए उसके विश्वास के काण ही भगवान खंभे में प्रकट हो गए थे। मीरा का विश्वास भी कमजोर नही पडा उसका भगवान में अटूट विश्वास था जिस कारण से मीरा को मारने के लिए दिया गया विष भी अमृत बन गया। उन्होने कहा कि विश्वास कभी डगमगाना नही चाहिए। प्रह्लाद का विश्वास प्रतिकूल परिस्थितियों में भी नही डगमगाया। कहां नही है नारायण यह विश्वास की परिभाषा है। वह हर कण में है।
भागवत कथा को आलौकिक प्रेरणा बताते हुए गीता मनीषी ने कहा कि फाल्गुन मास में भागवत कथा का विशेष महत्व है। गीता में कर्म के साथ विश्वास को भी बहुत महत्व दिया गया है। इस अवसर पर पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा ने अपने संबोधन में कहा कि गीता मनीषी ने कुरुक्षेत्र की पवित्र भूमि पर गीता ज्ञान संस्थानम की स्थापना करके अभूतपूर्व कार्य किया है। गाय के सेवार्थ भागवत कथा का आयोजन करवाकर सोने पर सुहागे जैसा कार्य किया है। उन्होने कहा कि स्वामी जी जहां गाय और गीता के प्रति समर्पित हैं वही वे दिव्यांगों और जरूरतमंदों की सहायता के लिए अनेक आयोजन करते रहते हैं। गौसेवा में स्वामी जी का विशेष योगदान है। इस अवसर पर व्यास पीठ से प्रसिद्ध कथा वाचक विष्णुकांत शास्त्री ने भागवत कथा का महत्व बताया और कृष्ण व राधा भाव के भजन गाकर श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।