आर्यन/ न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र,7 अगस्त। इंडिया टूडे के संपादक अंशुमन तिवारी ने कहा है कि देश के मीडिया शिक्षकों को यह तय करने की आवश्यकता है कि उन्हें विद्यार्थियों को नचिकेता की तरह तैयार करना है या उन्हें नारद बनाना है। उन्होंने कहा कि नचिकेता पत्रकार व नारद मीडिया कर्मचारी है। इन दोनो में बड़ा ही भेद है। श्री तिवारी ने कहा कि भारतीय ज्ञान परंपरा में प्रश्नो का विशेष महत्व रहा है। हमारी पूरी ज्ञान परंपरा इसी पर आधारित है। हम भावी मीडिया कर्मियों को प्रश्न करना सीखाने की आवश्यकता है। जो प्रश्न करना सीख गया वही सबसे अच्छा पत्रकार है।
वे कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय का जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी संस्थान यूजीसी मानव संसाधन केन्द्र के संयुक्त तत्वाधान में जनसंचार एवं मीडिया प्रौद्योगिकी विषय पर पहला आॅनलाइन रिफ्रेशर कोर्स के तीसरे दिन प्रतिभागियों को संबोधित कर रहे थे। श्री अनसुमन तिवारी ने कहा कि भारतीय संसद में भी दैनिक कार्य की शुरूआत से पूर्व प्रश्नकाल सत्र आता है और सांसदों को सवाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। दुनियाभर के लोकतांत्रिक देशों में इस बात पर अब चर्चा है कि लोगों को सवाल करना सिखाया जाए।
उन्होंने कहा कि भारत के लोक सामान्य व्यक्ति में प्रश्न करने की परम्परा है। लोग पत्रकार के माध्यम से व्यवस्था से सवाल पूछना चाहते हैं इसलिए पत्रकार को अभिव्यक्ति की आजादी व प्रश्न करने का संवैधानिक अधिकार मिला है। उन्होंने कहा कि पत्रकार व मीडिया कर्मी में बडा अंतर है। इस अंतर को मीडिया शिक्षकों को समझने की आवश्यकता है। गुरू ही विद्यार्थियों को शून्य से शिखर तक पहुंचा सकता है। पत्रकार लोगों का प्रतिनिधी है लेकिन उसने खुद को सत्ता का हिस्सा समझ लिया है जिसके कारण इस क्षेत्र में गिरावट आ रही है। पत्रकार फिल्ड में न जाकर ड्राइंगरूम पत्रकारिता करते हैं तो इससे निश्चित रूप् से पत्रकारिता का स्तर गिरेगा ही।
उन्होंने कहा कि गुणवत्तापूर्ण कंटेंट की मांग निरंतर बढ रही है। भविष्य में वही टिकेगा जिसके पास ज्ञान होगा व गुणवत्तापूर्ण कंटेंट दे सकेगा। पत्रकारिता में पैसा नहीं है लेकिन यदि पत्रकार योग्य है तो वह कुछ भी अर्जित कर सकता है। मीडिया का अर्थिक माडल बदल रहा है। जल्द ही अच्छा कंटेंट पे-वाॅल पर उपलब्ध होगा। अच्छे कंटेंट के लिए लोगों को खर्च भी करना पडेगा। उन्होंने सभी मीडिया शिक्षकों से आहवान किया िकवे विद्यार्थियों को कुछ ऐसे तैयार करें कि उनके पास भाषा व प्रश्न करने की कला हो। ऐसा कर ही हम लोकतंत्र के मजबूत प्रहरी तैयार कर सकते हैं।
विविध भारती मुम्बई से वरिष्ठ उदघोषक कमल शर्मा ने कहा कि आकाशवाणी भारत में हमेशा ही समाचार सूचनाओं व मनोरंजन का सबसे बडा माध्यम रहा है। जनकल्याण व जनजागरण में आकाशवाणी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। आकाशवाणी को लोग हमेशा ही इसलिए पसंद करते रहे हैं क्योंकि उसमें जन रूचि के अनुसार कार्यक्रम बनते हैं। लोगों की भाषाओं में कार्यक्रम प्रस्तुत किये जाते हैं और प्रस्तुती का माध्यम भाषा है। मीडिया के शिक्षकों को विद्यार्थियों की भाषा के स्तर को सुधारने के लिए काम करने की आवश्यकता है। कंटेंट के साथ-साथ भाषा का स्तर गिरना प्रसारण की दृष्टि से चिंताजनक है। इस मौके पर उन्होंने विविध भारती के साथ उनकी यात्रा के दिलचस्प किस्से व कार्यक्रम निर्माण के बारे में विस्तार से बताया।
तीसरे सत्र में आज तक के कार्यकारी संपादक व पिछले 14 वर्षों से वारदात जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से दर्शकों के बीच में चर्चित स्मस ताहिर खान ने टेलीविजन पत्रकारिता के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि पिछले तीन दशकों में भारतीय टेलीविजन की विषय वस्तु व प्रस्तुती में बडे बदलाव हुए हैं। जहां एक ओर कार्यक्रमों की विविधता बढी है दूसरी ओर कंटेंट के स्तर पर गिरावट भी हुई है। अपने जीवन के अनुभवों को सांझा करते हुए उन्होंने कहा कि एक क्राइम रिपोर्टर को लोग एक निष्ठुर व्यक्ति के रूप् में देखते हैं जबकि सही अर्थों में अपराध रिपोर्टिंग वही व्यक्ति कर सकता है जो समाज के लिए संवेदनशील है।
उन्होंने अपने उदबोधन में निठारी कांड, निर्भया कांड, एयर क्रैश सहित सैंकडों घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि निर्भया कांड को रिपोर्ट करना उनके जीवन की सबसे दर्दनाक घटना रही है। इस घटना ने उन्हें इतना झकझोर दिया था कि सामान्य रूप से कार्य शुरू करने में उन्हें कई महीने लगे। उन्होंने मीडिया के शिक्षकों से आहवान किया कि पत्रकारिता में कापी राइटिंग सबसे महत्वपूर्ण है। विद्यार्थियों को काॅपी लिखना सिखाएं व अच्छी पुस्तकें पढने के लिए प्रेरित करें ताकि वे दर्शकों के लिए अच्छा कंटेंट दे सकें।
आल इंडिया रेडियो दिल्ली एसिसटेंट डायरेक्टर प्रोग्राम व वरिष्ठ उदघोषक जैनेन्द्र सिंह ने अपने 32 वर्षों के अनुभव को प्रतिभागियों के साथ सांझा किया। उन्होंने मन की बात दिल है तो है, महात्मा गांधी सत्य के प्रयोग का रूपांतरण जैसे कार्यक्रमों का उदाहरण रखते हुए रेडियो कार्यक्रम निर्माण की बुनियादी तकनीक से प्रतिभागियों को अवगत कराया। उन्होंने कहा कि रेडियो कार्यक्रम कार्यक्रम के प्रारूपों पर चर्चा करते हुए कहा कि किसी भी कार्यक्रम निर्माण व प्रस्तुति में भावों का बहुत महत्व है। शब्दों का चयन वायस माॅडयूलेशन, उच्चारण व तकनीक ऐसी चीजें हैं जिन्हें हमें विद्यार्थियों को बताना चाहिए ताकि वे अच्छे प्रसारक बन सकें।
उन्होंने कार्यक्रम निर्माण में शोध के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि कार्यक्रम की गुणवत्ता बढाने के लिए रिसर्च करना बेहद ही अनिवार्य है। इस मौके पर कोर्स कोर्डिनेटर डाॅ बिन्दु शर्मा ने वक्ताओं का स्वागत किया व सह संयोजक डाॅ अशोक कुमार ने धन्यवाद किया। इस अवसर पर डाॅ सतीश राणा, राजेश कुमार के साथ गरिमा श्री, सुरेन्द्र कुमार, डाॅ अजय, नवीन कुमार, भारत भूषण, रंजना ठाकुर, अभिषेक गोयल, दिलावर सिंह, राकेश प्रकाश, सोमाली चक्रवर्ती, डाॅ जयंत कुमार पाण्डा सहित सभी प्रतिभागी मौजूद थे।