विकास शर्मा के नाटक पंचलाईट ने खूब गुदगुदाया, कलाकारों के अभिनय के कायल हुए लोग
नाटक पंचलाईट की मची धूम, दर्शकों से खचाखच भरा रहा सभागार
न्यूज डेक्स संवाददाता
कुरुक्षेत्र। जिंदगी में हंसना बेहद जरुरी है। बिना हास्य के जीवन नीरस हो जाता है। एक ओर जहां हास्य तनाव को दूर करता है, वहीं लोगों के अंदर स्फूर्ति भी पैदा करता है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला कला कीर्ति भवन की भरतमुनि रंगशाला में। मौका था न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप द्वारा मंचित हास्य नाटक पंचलाईट का। हरियाणा कला परिषद द्वारा विश्व रंगमंच दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित सात दिवसीय नाट्य रंग महोत्सव के समापन पर कुरुक्षेत्र के रंगकर्मी विकास शर्मा के निर्देशन में फणीश्वर नाथ रेणू की बहुचर्चित कहानी पंचलाईट को बहुत ही रोचक ढंग से मंचित किया गया।
इस मौके पर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति सोमनाथ सचदेवा मुख्यअतिथि के रुप में पहुंचे। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के संयुक्त निदेशक सुरेश कुमार द्वारा की गई। विशिष्ट अतिथि उच्च शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक गुलजार अहमद, कुवि के युवा एवं संस्कृति विभाग के निदेशक डा. महासिंह पुनिया तथा भाजपा जिलाध्यक्ष राजकुमार सैनी रहे। हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने अतिथियों का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया। मंच संचालन कला परिषद के अतिरिक्त निदेशक महाबीर गुड्डू द्वारा किया गया।
हास्य नाटक पंचलाईट ने किया अशिक्षा पर प्रहार
नाटक पंचलाईट की प्रस्तुति देख मंत्रमुग्ध हुए दर्शक,
शहर के एकमात्र सक्रिय नाट्य दल न्यू उत्थान थियेटर ग्रुप द्वारा विकास शर्मा के निर्देशन में प्रस्तुत नाटक पंचलाईट में बिहार के एक छोटे से गांव की कहानी को दिखाया गया। उस समय गांव में बिजली नहीं होती थी। गांव के बामन टोली के पास खुद की खरीदी हुई पंचलाईट थी, तो महतो टोली के लोगों ने भी दण्ड और जुर्माने के पैसे इकट्ठे करके पंचलाईट खरीद ली। जब शहर से पंचलाईट गांव में आती है तो खूब खुशियां मनाई जाती हैं। लेकिन बाद में पता चलता है कि गांव के किसी भी व्यक्ति को पंचलाईट जलानी नहीं आती। लेकिन गांव का एक आवारा लड़का गोधन जो पढ़ा-लिखा है, उसे ही पंचलाईट जलानी आती है। गोधन गांव की ही लड़की मुनरी से प्यार करता है। लेकिन मुनरी से प्यार करने वाले कल्लू को ये अच्छा नहीं लगता और वह मुनरी की अम्मा को सब बता देता है। मुनरी की अम्मा पंचायत बुला लेती है, जिसमें फैंसला होता है कि गोधन का हुक्का पानी बंद कर दिया जाए। इस प्रकार गोधन और मुनरी का मिलना-जुलना बंद हो जाता है। लेकिन पंचलाईट आने पर मुनरी सबको बताती है कि गोधन को पंचलाईट जलानी आती है। सरपंच गोधन को बुलवाकर पंचलाईट जलाने के लिए कहता है, लेकिन गोधन शर्त रखता है कि यदि मुनरी से उसका ब्याह करवाया जाए, तभी वह पंचलाईट जलाएगा। पंचायत उसकी बात मान लेती है और गोधन का मुनरी से ब्याह करवाने का वादा करती है। तब गोधन पंचलाईट जला देता है और पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ती है। इस प्रकार नाटक अशिक्षा पर कटाक्ष करता है। नाटक में जहां एक ओर सभी कलाकारों का अभिनय दमदार था, वहीं दूसरी ओर नाटक के संगीत तथा विषय वस्तु ने भी सभी को अपनी ओर आकर्षित करने में अहम भूमिका निभाई। नाटक में सूत्रधार नाटक निर्देशक विकास शर्मा रहे। गोधन का किरदार राजीव कुमार तथा मुनरी का किरदार महक माल्यान ने निभाया। अन्य कलाकारों में पारुल कौशिक, शिवकुमार, गौरव दीपक जांगड़ा, साजन कालड़ा, कुलदीप शर्मा, आकाश, ज्योति बांकुरा, नितिन गुप्ता, अनूप कुमार, चंचल शर्मा, निकेता शर्मा, पार्थ, चमन, गोविंदा, साहिल खान, साहिल मैहला आदि शामिल रहे। प्रकाश व्यवस्था मनीष डोगरा ने सम्भाली। नाटक के अंत में सभी कलाकारों को अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। मुख्यअतिथि कुलपति सोमनाथ सचदेवा ने दर्शकों को सम्बोंधित करते हुए कहा कि सात दिवसीय उत्सव के समापन पर प्रसिद्ध साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणू की रचना को नाट्य रुपांतरित कर प्रस्तुत करना वास्तव में कलाकारों द्वारा किया गया सराहनीय काम है। हास्य के साथ नाटक को प्रस्तुत कर लोगों को बांधे रखकर अपनी बात दर्शकों तक पहुंचाने में पंचलाईट के कलाकारों ने सफलता हासिल की है। वहीं संयुक्त निदेशक सुरेश कुमार ने भी नाटक मंचन के संदर्भ में बताते हुए कहा कि भोजपुरी बोली में नाटक दिखाते हुए कलाकारों ने बिहार का दृश्य ही मंच पर प्रस्तुत कर दिया। बहुत कम नाट्य सामग्री के माध्यम से केवल अभिनय के दम पर नाटक दिखाने में कलाकारों की जितनी सराहना की जाए कम हैं। अंत में संजय भसीन ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।
नाट्य रंग महोत्सव के साथ गांधी शिल्प बाजार का हुआ समापन
17 मार्च से कला कीर्ति भवन के परिसर में चल रहे गांधी शिल्प बाजार का भी नाट्य रंग महोत्सव के साथ समापन हो गया। शिल्प मेले के समापन पर परिसर में लोगों की भीड़ देखने वाली थी। एक ओर जहां लोगों ने भारी संख्या में नाटक का आनंद लिया। वहीं दूसरी ओर परिसर में भी लोगांे का खरीदारी करने के लिए तांता लगा रहा। मेले के अंतिम दिन कला परिसर की छटा देखने वाली थी। कहीं हरियाणवी लोकवाद्ययंत्रों की स्वर लहरियां गूंज रही थी, तो कहीं अलग-अलग प्रदेशों के पकवान लोगांे को लुभा रहे थे। कहीं महिलाएं सुंदर आभूषण तथा कपड़े खरीदती नजर आई तो कहीं फर्नीचर तथा फूलों की दुकानों पर लोग जमा रहे। शिल्प बाजार के समापन पर संजय भसीन ने कहा कि भविष्य में भी हरियाणा कला परिषद द्वारा इस प्रकार के मेले आयोजित किए जाएगें। इसके अतिरिक्त गीता महोत्सव के दौरान ब्रहमसरोवर के साथ-साथ कला परिषद के परिसर में भी मेला आयोजित किया जाएगा।